मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

मैं कौन हूं, कहां से आया हूं, मुझे जाना कहां है, जो इन प्रश्नों का उत्तर नहीं जान पाया उसका जीवन पशु समान : साक्षी गोपाल दास

04:08 AM Dec 27, 2024 IST
यमुनानगर में बृहस्पतिवार को श्रीमद् भागवत कथा को लेकर निकाली गई कलश यात्रा में शामिल महिलाएं। -हप्र

यमुनानगर, 26 दिसंबर (हप्र)

Advertisement

इस्कॉन प्रचार समिति यमुनानगर-जगाधरी द्वारा सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन शशि महल में करवाया जा रहा है। इसके उपलक्ष्य में 108 कलश यात्रा निकाली गई। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में संदीप बंसल, विकास कोड़ा, राहुल जिंदल, रवींद्र दत्ता, परीक्षित, कृष्ण दर्शन दास और इस्कॉन प्रचार समिति के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।
कथा व्यास इस्कॉन कुरुक्षेत्र के अध्यक्ष साक्षी गोपाल दास प्रभु ने भक्ति की महिमा के बारे में बताते हुए कहा कि जो लोग मनुष्य योनि प्राप्त कर भगवान की भक्ति नहीं करते, यमराज के दूत उन्हें बड़ी यातनाएं देते हैं। जैसे अगर किसी व्यक्ति को एक हजार बिच्छू एक साथ काट जाए, उसे जितना दर्द होता है, यमराज के दूत उसे उससे भी ज्यादा दर्द देते हैं। वेदांत कहता है कि भगवान ने यह मनुष्य योनि अपने आप को जानने के लिए दी है कि मैं कौन हूं, मैं कहां से आया हूं, मुझे जाना कहां है। जो मनुष्य इस योनि में इन प्रश्नों का उत्तर नहीं जान पाया, उसका जीवन पशु के समान है।

यह भौतिक संसार जन्म, मृत्यु, जरा, व्याधि का भव सागर है। जो इस संसार में आया है, उसे जन्म का कष्ट, मरण का कष्ट, व्याधि का कष्ट और जरा का कष्ट उठाना ही पड़ेगा। यह जीव आत्मा इस भवसागर में एक योनि के बाद दूसरी योनि में भटक रही है। किसी भाग्यवान को ही मनुष्य योनि मिलती है। इसी मनुष्य योनि में हमें गुरु की प्राप्ति होती है केवल मनुष्य योनि में आप गुरु स्वीकार कर सकते हैं। जब तक मनुष्य योनि पाकर भगवान कृष्ण के शुद्ध भक्तों की शरणागति नहीं लेंगे, उनके चरणों की धूल अपने मस्तक पर स्वीकार नहीं कर लेंगे, तब तक उन्हें भक्ति मिलने वाली नहीं है।

Advertisement

Advertisement