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'मैं अब मरना नहीं चाहता... जीना चाहता हूं'

05:00 AM Jul 14, 2025 IST
 मैं अब मरना नहीं चाहता    जीना चाहता हूं
फतेहाबाद के गांव का नशे में ग्रस्त युवक की इंजेक्शन लगाने से खराब हुए दोनों बाजू। -हप्र
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फतेहाबाद में नशे के शिकार युवाओं को नये जीवन की राह दिखा रही पुलिस


फतेहाबाद, 13 जुलाई (हप्र)

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उसके हाथों में अब इंजेक्शन लगाने की कोई जगह नहीं बची। बाजू मवाद से भरे हुए हैं। लेकिन उसकी आंखों में अब जीने की चाह दिखती है। वह बार-बार कहता है' मैं अब मरना नहीं चाहता... जीना चाहता हूं। मेरा नशा छुड़ा दो।' यह कहानी है 24 साल के सुखविंदर (काल्पनिक नाम) की, जो पहले दिन में 10 बार ड्रग्स के इंजेक्शन लेता था। अब वह सिर्फ दो बार ले रहा है और जल्द ही वह इसे पूरी तरह छोड़ देना चाहता है। यह बदलाव आया है फतेहाबाद पुलिस की नशा मुक्ति टीम की लगातार काउंसलिंग, इलाज और देखभाल से।

सुखविंदर पढ़ाई के दौरान झगड़े में फंस गया। बाद में वर्क परमिट पर मलेशिया गया लेकिन कोरोना के समय भारत लौटना पड़ा। यहां कुछ गलत दोस्तों की संगत में पड़कर नशा करने लगा। धीरे-धीरे वह पूरी तरह नशे का आदी हो गया और परिवार की उम्मीदें टूटने लगीं। नशा मुक्ति टीम के इंचार्ज सुंदर मुसाफिर बताते हैं कि जब किसी को लगता है कि वह बदल सकता है, तभी से बदलाव शुरू होता है। हम काउंसलिंग, दवाओं और सहयोग से उसे नशे से बाहर लाते हैं। सुखविंदर को आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और एलोपैथिक इलाज के साथ-साथ लगातार समझाने और साथ देने से राहत मिल रही है।

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छोटे बच्चे और छात्राएं भी चपेट में

फतेहाबाद जिले में हालात चिंताजनक हैं। पुलिस को 13 साल के बच्चे भी ड्रग्स लेते मिले हैं। एक स्कूल में नौवीं और ग्यारहवीं की दो छात्राएं अफीम की लत में पाई गईं, जिन्हें यह लत एक लड़के ने लगवाई थी। शहर के शौचालयों और खाली जगहों पर नशे में बेसुध युवक रोज़ देखे जा सकते हैं।

नशे के खिलाफ सख्ती और सहानुभूति जरूरी : एसपी

फतेहाबाद के एसपी सिद्धांत जैन कहते हैं कि अगर एक युवा सुधरता है तो उसके साथ पूरा परिवार बदलता है। हमें कानून के साथ-साथ प्यार और समझदारी से भी काम लेना होगा। उन्होंने बताया कि अब तक 2261 युवाओं की पहचान की गई है। इनमें से 1614 का इलाज शुरू हो चुका है। 349 युवक पूरी तरह नशे से बाहर निकल चुके हैं। पुलिस की टीम स्कूलों, गांवों और मोहल्लों में जागरूकता कैंप और फ्री इलाज शिविर भी लगा रही है।

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