माता-पिता का सम्मान विद्यार्थी का नैतिक कर्त्तव्य : आचार्य देवव्रत
कुरुक्षेत्र, 24 फरवरी (हप्र)
गुरुकुल कुरुक्षेत्र में सोमवार को गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत का छात्रों के बीच व्याख्यान हुआ। इसमें आचार्य ने विद्यार्थियों को जीवन में सफलता के लिए पूरी ईमानदारी से परिश्रम करने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम में 12वीं कक्षा के छात्रों द्वारा आचार्य को स्मृति-चिह्न देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर गुरुकुल के निदेशक ब्रिगेडियर डॉ. प्रवीण कुमार, प्राचार्य सूबे प्रताप सहित सभी अध्यापक एवं संरक्षक मौजूद रहे। मंच का सफल संचालन मुख्य संरक्षक संजीव आर्य द्वारा किया गया।
आचार्य ने कहा कि अभिभावकों को अपने बच्चों से यह अपेक्षा होती है कि वे बुढ़ापे में उनकी सेवा करे, समाज में उनका मान सम्मान बढ़ाए। इसी आशा के साथ अभिभावक अपने बच्चों को गुरुकुलां में भेजते हैं, जहां बच्चों को सही मायने में संस्कारवान बनाया जा रहा है। विद्यार्थियों का यह नैतिक कर्त्तव्य है कि वे अपने माता-पिता और गुरुओं का हमेशा सम्मान करें। उन्होंने कहा कि 9वीं से 12वीं कक्षा के दौरान छात्रों में शारीरिक बदलाव आते हैं। इस दौर में बच्चे दिमाग से कम और दिल से ज्यादा निर्णय लेते हैं, जो कई बार उनके भविष्य के लिए सही साबित नहीं होते। विद्यार्थियों को हमेशा विनम्र होना चाहिए, क्योंकि विन्रमता से ही विद्या आती है।
उन्होंने कहा कि कुछ बच्चे दुनिया की चकाचौंध से भ्रमित होकर अपने जीवन के लक्ष्य से भटक जाते हैं, गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति इसी भटकाव से छात्रों को रोकती है।