मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

मन की रोशनी

04:05 AM Jan 20, 2025 IST

संत इमाम गिजाली धर्मग्रंथ के अध्ययन में पूरी रात बिता देते थे। उनके पास रातभर एक नन्हा-सा दीपक जलता रहता था। एक दिन पढ़ते-पढ़ते झपकी लग गई। स्वप्न में उन्होंने देखा कि एक देवदूत आया है और कहता है, ‘गिजाली, उठो! मैं तुझे सम्पूर्ण विद्याएं सिखाने आया हूं। इसके बाद तुझे रातभर जागना नहीं पड़ेगा।’ स्वप्न में ही गिजाली ने कहा, ‘ख्वाजा साहब! बेदबी माफ करें; किंतु परिश्रम किए बिना पुरस्कार मुझे नहीं चाहिए। सभी विद्याएं पढ़ने-सीखने जितनी शक्ति और सामर्थ्य मुझमें है भी नहीं। पुरुषार्थ के बिना मिली सिद्धि मुझे नगण्य लगती है। मुझे तो इन ग्रंथों को पढ़कर धीरे-धीरे जो ज्ञान मिले, वही पाना है। वह ज्ञान मेरा अपना होगा।’ ‘तब तुम्हारे मन में जो आए, मुझसे मांग लो,’ देवदूत ने कहा। गिजाली बोले, ‘आप ऐसे ही खुश हैं तो यह कीजिए कि मेरे इस दीपक की रोशनी और मेरे भीतर की रोशनी कभी घटे नहीं, जिससे मेरी साधना कभी शिथिल न पड़े।’

Advertisement

प्रस्तुति : अक्षिता तिवारी

Advertisement
Advertisement