मनमोहन सिंह को बंटवारे के बाद साढौरा के पास सरावां में अलॉट हुई थी 6 एकड़ जमीन
सुरेंद्र मेहता/हप्र
यमुनानगर, 28 दिसंबर
अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के जिला चकवाल के चक गाह में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बंटवारे के बाद भारत आने पर साढौरा के समीप सरावां गांव में लगभग 6 एकड़ खेती की जमीन अलॉट हुई थी। उन्हें यह जमीन अविभाजित पंजाब की उनकी मलकियत की जमीन के बदले में अलॉट की गई थी। मनमोहन सिंह का परिवार बंटवारे के बाद अमृतसर बस गया था। मनमोहन सिंह के परिवार ने सरावां गांव की जमीन पर कभी भी खुद खेती नहीं की थी। कुछ सालों तक नौकरों के माध्यम से इस जमीन पर खेती करवाने के बाद उनके परिवार ने यह जमीन बेच दी थी। मनमोहन सिंह खुद कभी सरावां तो नहीं आए लेकिन उनके खानदान से रिश्ते में उनके भाई 80 वर्षीय इंद्रजीत सिंह कोहली अब भी सरावां में ही रहते हैं। सरावां में ज्ञानी जी के नाम से प्रसिद्ध इंद्रजीत सिंह कोहली भारत संचार निगम के रिटायर्ड कर्मचारी हैं। मनमोहन सिंह की तरह ही इंद्रजीत सिंह की रगों में समाजसेवा व धर्म के प्रति आस्था का खून दौड़ता है। यही कारण है कि समाजसेवा व धर्म के प्रति अपनी आस्था को आंच न पहुंचे, इस कारण से इंद्रजीत सिंह ने अविवाहित ही रहने का निर्णय करके अपना समस्त जीवन समाज व धर्म को समर्पित किया हुआ है। इन दिनों वह चंडीगढ़ में रहने वाले अपने छोटे भाई हरिन्द्र पाल सिंह व भाभी प्रीतपाल कौर के पास गए हुए हैं। मनमोहन सिंह के निधन का दुख उनसे फोन पर हुई बात में उनकी आवाज में नजर आ रहा था। इंद्रजीत सिंह ने बताया कि वह मनमोहन सिंह से मिलने कभी नहीं गए, लेकिन दिल्ली में रहने वाले उनके बड़े भाई हरजीत सिंह कई बार मनमोहन सिंह से मुलाकात कर चुके हैं।
गौरतलब है कि जिला चकवाल के कई परिवारों को बंटवारे के बाद सरावां गांव में जमीनें अलॉट हुई थी। तब जिला चकवाल के कई परिवार साढौरा में आकर बस गए थे, जिन्हें आज भी चकवाल बिरादरी के नाम से जाना जाता है। इन्हीं में से एक बुजुर्ग विश्वामित्र ओबराॅय ने बताया कि अविभाजित भारत में मनमोहन सिंह के चक गाह से 6 किलोमीटर दूरी पर ही उनका भी चक खड़क गांव था। विश्वामित्र ओबराॅय भी मनमोहन सिंह के निधन से गमगीन हैं।