मंत्रियों ने मुख्यमंत्री से मांगे ग्रुप डी कर्मियों के तबादलों के अधिकार
चंडीगढ़, 5 जनवरी (ट्रिन्यू)
हरियाणा में नई सरकार के गठन के बाद अब मंत्रियों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से कर्मचारियों के तबादलों के अधिकार मांगे हैं। मंत्री फिलहाल ग्रुप डी के तबादले करने के अधिकार चाहते हैं। मंत्रियों ने यह अधिकार अपने-अपने जिलों के विधायकों की मांग को ध्यान में रखते हुए मांगे हैं। हरियाणा सरकार ने इस बारे में अभी कोई फैसला नहीं लिया है। माना जा रहा है कि बहुत जल्द मुख्यमंत्री नायब सैनी हाईकमान से बातचीत करके इस दिशा में कोई निर्णय कर सकते हैं। हरियाणा में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर पूर्व हुड्डा व मनोहर सरकार में कई तरह के तजुर्बे होते रहे हैं।
पूर्व हुड्डा सरकार में दिए थे अधिकार
पूर्व हुड्डा सरकार में भी मंत्रियों की मांग पर तबादलों के अधिकार दिए गए थे लेकिन बाद में उन्हें वापस ले लिया गया था। हुड्डा के बाद सत्ता में आए मनोहर लाल सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान मंत्रियों को शांत करने के लिए हर साल एक-एक माह के लिए ग्रुप डी के तबादलों के अधिकार दिए जाते थे।
मनोहर सरकार ने 20 दिन के लिए दिए थे तबादले के अधिकार : मनोहर सरकार के दूसरे कार्यकाल में मंत्रियों की मांग पर उन्हें 20 दिन के लिए तबादलों के अधिकार दिए गए थे। प्रदेश में तबादलों को लेकर वर्ष 2019 से एक ही व्यवस्था चली आ रही है। जिसके तहत मंत्री ग्रुप सी व डी के तबादलों को लेकर केवल अपनी सिफारिशें देते हैं। जिसके बाद यह सिफारिशें मुख्यमंत्री के पास जाती हैं। वहां बतौर ओएसडी तैनात एचसीएस स्तर के अधिकारी ही तबादलों पर फैसला लेते हैं। वर्ष 2024 में मनोहर लाल को हटाकर जब नायब सैनी को सीएम बनाया गया तब भी यह मांग उठी लेकिन चुनाव के चलते इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
अब प्रदेश के मंत्रियों ने मुख्यमंत्री से ग्रुप डी के तबादले करने के अधिकार दिए जाने की मांग की है।
सूत्रों के मुताबिक मंत्रियों ने न केवल पूरी मजबूती से अपनी मांग रखी, बल्कि हर ट्रांसफर के लिए मुख्यमंत्री से पूछने और ओएसडी के फैसले को लेकर नाराजगी भी जताई है। जिसके बाद सीएम भी असमंजस में हैं। इसलिए उन्होंने मंत्रियों को इस पर कोई आश्वासन भी नहीं दिया। प्रदेश के एक मंत्री ने बताया कि उन्हें किसी कर्मचारी के तबादले को लेकर एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता है। सारे तबादले का अधिकार सीएमओ के पास है। उन्हें मुख्यमंत्री से पूछना पड़ता है। ऐसी सूरत में तबादलों में देरी हो जाती है। विधायकों को भी यही दिक्कत आ रही है। ऐसे में उनके अधिकारों के प्रति गलत संदेश जा रहा है।