भ्रष्टाचारी पंच-सरपंचों के पद से हटने के 6 साल बाद भी हो सकेगी कार्रवाई
चंडीगढ़, 15 मार्च (ट्रिन्यू)
हरियाणा सरकार पंचायत प्रतिनिधियों के संबंध में चल रहे करीब तीन दशक पुराने कानूनों को बदलने जा रही है। नए कानून के तहत पद से हटने के बावजूद भ्रष्टाचार के आरोपित पंच-सरपंच छह साल तक कार्रवाई से बच नहीं सकेंगे। ऐसे पंचायत प्रतिनिधियों से पूरी राशि वसूली जाएगी।
गांवों के विकास कार्यों में भ्रष्टाचार और पंचायती संपत्ति की हेराफेरी के आरोपित पंच-सरपंचों की जवाबदेही तय करने के लिए प्रदेश सरकार वर्ष 1994 में बने पंचायती राज अधिनियम की धारा 53 की उपधारा (5) में संशोधन का विधेयक तैयार कर लिया गया है। विकास एवं पंचायत मंत्री कृष्ण लाल पंवार विधानसभा के मौजूदा सत्र में ही हरियाणा पंचायती राज संशोधन विधेयक सदन पटल पर रखेंगे। पुराने कानून के अनुसार अगर किसी पंच-सरपंच के कार्यकाल में पंचायती कार्यों में भ्रष्टाचार होता है तो गड़बड़ी होने की तारीख से छह साल तक या फिर पंच-सरपंच पद से हटने के दो साल तक, जो भी पहले होगा, उस अवधि तक कार्रवाई की जा सकती है।
नए कानून में ग्राम निधि के नुकसान, बर्बादी और दुरुपयोग के मामलों की जांच के लिए नोटिस की समय अवधि बढ़ाई जाएगी।
अगर किसी पंच-सरपंच के कार्यकाल में भ्रष्टाचार होता है तो गड़बड़ी होने की तारीख से छह साल तक या फिर पंच-सरपंच पद से हटने के दो साल तक, जो भी बाद में होगा, उस अवधि तक आरोपित के खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी। पुराने कानून में किसी सरपंच के कार्यकाल में आखिरी समय में गड़बड़ी पकड़ में आने के बाद जांच में दो साल से अधिक समय लग जाने की स्थिति में उसे नोटिस जारी नहीं किया जा सकता था। इससे भ्रष्टाचारी पंच-सरपंच आसानी से बच जाते थे। इतना ही नहीं, कई बार तो शिकायतें पंच-सरपंचों के पद से हटने के बाद आती थीं।