चेन्नई, 6 मार्च (एजेंसी)तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा कि भाषाई समानता की मांग करना अंधराष्ट्रवादी होना नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि असली अंधराष्ट्रवादी और राष्ट्रविरोधी, हिंदी कट्टरपंथी हैं, जो मानते हैं कि उनका अधिकार स्वाभाविक है लेकिन विरोध देशद्रोह है। उन्होंने कहा, अंधराष्ट्रवाद 140 करोड़ नागरिकों पर लागू होने वाले तीन आपराधिक कानूनों को एक ऐसी भाषा देना है जिसे तमिल लोग न बोल सकते हैं और न ही पढ़कर समझ सकते हैं। उन्होंने कहा, 'किसी भी चीज को थोपने से दुश्मनी पैदा होती है, दुश्मनी एकता को खतरे में डालती है।' उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान द्वारा बांग्लादेश के लोगों पर भाषा थोपना नए देश के निर्माण का मूल कारण था।' भाषा का प्रभुत्व तत्कालीन सोवियत संघ के विघटन के कारणों में से एक था। उन्होंने आगे कहा कि मातृभाषा मधुमक्खी के छत्ते की तरह होती है और इसे छूना खतरनाक होगा।