चंडीगढ़, 15 फरवरी (ट्रिन्यू)2030 तक दुनियाभर में 1.5 करोड़ स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की कमी होगी, और भारत इस जरूरत को पूरा करने में अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार है! इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए एनएसडीसी इंटरनेशनल ने चंडीगढ़ में एक विशेष शिखर सम्मेलन आयोजित किया, जहां नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने भारत में वैश्विक स्तर पर सक्षम स्वास्थ्य कार्यबल तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। पॉल ने कहा कि एनएसडीसी इंटरनेशनल स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में कौशल विकास को नई ऊंचाइयों तक ले जा रहा है। जर्मनी, जापान और कनाडा जैसे देशों में भारतीय प्रशिक्षित स्वास्थ्य पेशेवरों की मांग तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने इस पहल को न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए एक गेम-चेंजर करार दिया। इस शिखर सम्मेलन में 50 विश्वविद्यालयों के कुलपति और कई एम्स प्रमुखों ने हिस्सा लिया। उन्होंने मिलकर स्वास्थ्य सेवा कार्यबल को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए रणनीतियों पर चर्चा की। एनएसडीसी इंटरनेशनल के सीईओ आलोक कुमार ने कहा कि अगले 5 वर्षों में हेल्थकेयर सेक्टर में रोजगार के व्यापक अवसर खुलेंगे। भारत के पास युवा और कुशल कार्यबल है, जो इस अवसर का पूरा लाभ उठा सकता है। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रमों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाया जा रहा है, जिससे भारतीय पेशेवर उच्च वेतन वाली नौकरियों के लिए पूरी दुनिया में योग्य बन सकें।कैसे मिलेगा फायदा?नए प्रशिक्षण कार्यक्रम – जराचिकित्सा (गेरिएट्रिक केयर) जैसे उभरते क्षेत्रों में ट्रेनिंगअंतरराष्ट्रीय सर्टिफिकेशन – विदेशी अस्पतालों में आसानी से नौकरी पाने का मौकाउद्योग और अकादमिक सहयोग – विश्वविद्यालयों और हेल्थकेयर इंडस्ट्री के बीच तालमेलडिजिटल हेल्थकेयर ट्रेनिंग – नई टेक्नोलॉजी और टेलीमेडिसिन में दक्षता