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भारतीय ज्ञान परंपरा, संस्कृति जीवन को सन्मार्ग पर ले जाने में सहायक : महंत बालकनाथ योगी

05:40 AM Apr 05, 2025 IST
रोहतक में शुक्रवार को बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय में आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते विवि के कुलाधिपति महंत बालकनाथ योगी। -हप्र

रोहतक, 4 अप्रैल (हप्र)
बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय रोहतक में ‘भारतीय ज्ञान प्रणाली : गौरवशाली अतीत से उज्ज्वल भविष्य तक’ विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। यह सम्मेलन बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय, महाराजा अग्रसेन विवि, हिमाचल प्रदेश और आईके गुजराल पंजाब तकनीकी विवि, पंजाब के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हो रहा है।
सम्मेलन के मुख्य अतिथि बाबा मस्तनाथ विवि के कुलाधिपति महंत बालकनाथ योगी ने भारतीय शिक्षा परंपरा के आध्यात्मिक एवं व्यावहारिक पहलुओं को उजागर किया। उन्होंने कहा कि सनातन ज्ञान केवल बौद्धिक विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मोन्नति और समाजोत्थान का माध्यम भी है।
उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा, संस्कृति, वेद और ज्योतिष से जुड़ी हुई है, जो मानव जीवन को सन्मार्ग पर ले जाने में सहायक है। उन्होंने कहा कि हमें यह भी समझना होगा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी की उम्र सीमित होती है, जबकि भारतीय ज्ञान परंपरा सनातन और शाश्वत है।
विवि के कुलपति प्रो. एच.एल. वर्मा ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि वे केवल पश्चिमी शिक्षा प्रणाली पर निर्भर न रहें, बल्कि अपनी जड़ों से जुड़े रहें और भारतीय ज्ञान परंपरा का गहन अध्ययन करें।
महाराजा अग्रसेन विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. नंदकिशोर गर्ग ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का सपना तभी साकार होगा जब हम अपनी प्राचीन ज्ञान परंपरा को आधुनिक संदर्भों में लागू करें और वैश्विक समस्याओं का समाधान खोजें। जेएनयू, दिल्ली के पूर्व डीन प्रो. सुधीर कुमार आर्य ने कहा कि हमारे प्राचीन ग्रंथों में गणित, खगोलशास्त्र, चिकित्सा और दर्शन के अनेक गूढ़ रहस्य छिपे हैं, जिन्हें आधुनिक शिक्षा प्रणाली में पुन: स्थापित करना आवश्यक है।
इस अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से महाराजा अग्रसेन विवि, हिमाचल प्रदेश के कुलपति प्रो. आरके गुप्ता, आईके गुजराल पंजाब तकनीकी विवि के कुलपति प्रो. सुशील मित्तल, और टेक्सिला अमेरिकन यूनिवर्सिटी, जाम्बिया के कुलपति प्रो. अजय कुमार पोद्दार ने भी संबोधित किया। सम्मेलन के प्रथम दिवस में 6 महत्वपूर्ण पुस्तकों का विमोचन किया गया।

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