For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

भाजपा ने की स्वतंत्र जांच की मांग, कांग्रेस सरकार पर भू-माफियाओं को संरक्षण देने का आरोप

04:18 AM May 30, 2025 IST
भाजपा ने की स्वतंत्र जांच की मांग  कांग्रेस सरकार पर भू माफियाओं को संरक्षण देने का आरोप
Advertisement
धर्मशाला/रविन्द्र वासन, 29 मईभाजपा ने पालमपुर भूमि घोटाले की स्वतंत्र जांच की मांग की है, जिसमें भू-माफिया ने स्थानीय अधिकारियों के साथ छेड़छाड़ करके ब्रिटिश मूल की महिला के दस्तावेजों के साथ कांगड़ा जिले के पालमपुर उपमंडल के बनूरी गांव में 101 कनाल बेशकीमती जमीन हड़पने का आरोप लगाया है। भाजपा की प्रदेश इकाई के प्रवक्ता संजय शर्मा, मीडिया सह-प्रभारी विश्व चक्षु और कांगड़ा के जिला अध्यक्ष सचिन शर्मा ने धर्मशाला में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए आरोप लगाया कि पहाड़ी राज्य की कांग्रेस सरकार भू-माफियाओं को संरक्षण दे रही है, जिसके कारण वे ही जानते हैं। भाजपा नेताओं ने मांग की कि पालमपुर भूमि घोटाले में आपराधिक मामला दर्ज कर इसकी जांच सतर्कता विभाग को सौंपने का समय आ गया है। पालमपुर नगर निगम, राजस्व विभाग, अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों और भू-माफिया के सदस्यों सहित सभी को हिरासत में लिया जाना चाहिए। इसके अलावा भूमि घोटाले से संबंधित सभी दस्तावेज तलब कर निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। संजय शर्मा ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा स्थानीय राजस्व अधिकारियों को जांच सौंपना शर्मनाक है, जिनकी भूमि घोटाले में भूमिका संदिग्ध है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि प्रशासन राजस्व विभाग के स्थानीय अधिकारियों को बचाने की कोशिश कर रहा है।
Advertisement

उल्लेखनीय है कि विवादित भूमि वास्तव में ब्रिटिश मूल के व्यक्ति टीजे ग्लिंसल की थी, जिन्होंने 1965 में अपनी मृत्यु से पहले भूमि का मालिकाना हक अपनी बेटी रोजना सराफ को दे दिया था, जो ब्रिटिश मूल की महिला थी। लेकिन, वह गांव में नहीं रही। बताया जाता है कि उनकी मृत्यु पंजाब के अमृतसर जिले के मोहल गांव में 1978 में हुई थी। पालमपुर नगर निगम द्वारा उनके मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए उनकी मृत्यु के गांव के रिकॉर्ड का इस्तेमाल किया गया था। दिलचस्प बात यह है कि पता चला है कि एक स्थानीय राजस्व अधिकारी ने प्रशासनिक शक्तियों का 'दुरुपयोग' करते हुए नगर निगम के आयुक्त से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए कहा था। नगर निगम के अधिकारियों ने मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करते समय तथ्यों की जांच नहीं की, जबकि बनुरी गांव के नंबरदार आलोक शर्मा ने राजस्व अधिकारियों के समक्ष गवाही दी थी कि रोजना सराफ कभी उनके गांव में नहीं रहीं। उन्होंने कहा कि उनका इस गांव में कोई घर भी नहीं था और वे स्थानीय निवासी भी नहीं थीं। भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि मृत्यु प्रमाण पत्र का इस्तेमाल बाद में भू-माफिया के सदस्यों द्वारा विवादित भूमि पर स्वामित्व का दावा करने के लिए किया गया, जबकि पिछले कई दशकों से 20 स्थानीय परिवार यहां बसे हुए हैं।

हिमाचल प्रदेश काश्तकारी एवं भूमि सुधार अधिनियम, 1972 (21 फरवरी, 1974 को अधिसूचित) के प्रावधानों के तहत राज्य सरकार ने इस भूमि का स्वामित्व अधिकार स्थानीय निवासियों को दे दिया, क्योंकि इस भूमि पर दावा करने के लिए कोई भी आगे नहीं आया। संजय शर्मा ने कांग्रेस सरकार से सवाल किया, यदि राज्य सरकार ने स्थानीय निवासियों को इस भूमि का स्वामित्व अधिकार दिया है, तो राजस्व अधिकारी इसे अन्य व्यक्तियों को कैसे हस्तांतरित कर सकते हैं, जिन्होंने दावा किया है कि वे रोज़ना सराफ के कानूनी उत्तराधिकारी हैं, स्थानीय निवासियों की सहमति के बिना, जिन्हें राज्य सरकार द्वारा स्वामित्व अधिकार दिए गए हैं?

Advertisement

Advertisement
Advertisement