भगवान शिव को समर्पित शिव धी माही नृत्य ने बटोरी तालियां
राजेश शर्मा/हमारे प्रतिनिधि
फरीदाबाद, 20 फरवरी
38वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले में सांस्कृतिक संध्या में ओडिशा राज्य के लोक कलाकारों ने अपने पारंपरिक शास्त्रीय नृत्य और गायन से समा बांधा। सांस्कृतिक संध्या में बतौर मुख्यातिथि ओडिशा की उपमुख्यमंत्री प्रभाती परिडा और हरियाणा के पर्यटन मंत्री डाॅ. अरविंद शर्मा ने शिरकत की। उन्होंने ओडिशा के लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किए सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रशंसा की। बड़ी चौपाल पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या में ओडिशा के लोक कलाकारों ने शानदार प्रस्तुतियां दीं। ओडिशा की प्रसिद्ध कोरियोग्राफर, नृत्यांगना एवं नृत्य अकादमी ओडिशा की सचिव पद्मश्री डाॅ. अरुणा मोहंती द्वारा तैयार करवाई भगवान शिव को समर्पित शिव धी माही नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति से लोक कलाकारों ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरी। वहीं ओडिशा के पारंपरिक नृत्य, गायन और वादन की शानदार प्रस्तुतियों से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया राहटकर, स्पेशल रेजिडेंट कमिश्नर ओडिशा मृणालिनी दरसवाल, राज्य महिला आयोग की चेयरपर्सन रेणु भाटिया, हरियाणा टूरिज्म काॅरपोरेशन के एमडी डाॅ. सुनील कुमार, जीएम यूएस भारद्वाज, कुलदीप सिंह, ओडिशा मंडप के नोडल अधिकारी प्रणब चांद, पर्यटन निगम हरियाणा के एजीएम हरविंद्र सिंह, एजीएम राजपाल सिंह मौजूद रहे। डाॅ. सुनील ने कहा कि महाकुंभ स्वरूप शिल्प महाकुंभ मेले में कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कलाकारों, शिल्पकारों और पर्यटकों के लिए सभी सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। मेले में हर पर्यटक को विभिन्न देश व विदेशी कला और संस्कृति की जानकारी मिलेगी। इसके लिए मेला परिसर में 4 मंच बनाए गए हैं, जहां प्रतिदिन कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां देकर आगन्तुकों का भरपूर मनोरंजन किया जा रहा है।
महास्टेज व चौपाल से नाट्यशाला तक कलाकार बिखेर रहे संस्कृति के रंग
मेला में आने वाले प्रत्येक पर्यटक को कलाकार, बुनकर, शिल्पकारों के साथ ही देशी-विदेशी लजीज व्यंजनों का स्वाद चखने को मिल रहा है। मेले में अब तक 13 लाख से ज्यादा पर्यटक आ चुके हैं। कलाकारों के लिए एक अनोखा सांस्कृतिक महोत्सव आयोजित किया गया है, जिसमें देश के विभिन्न कोनों से आए पर्यटक और संस्कृति प्रेमी अपनी-अपनी परंपराओं और कलाओं का अद्भुत संगम दिखाने में जुटे हैं। परिसर में अलग-अलग स्थानों पर बने 4 प्रमुख मंच महास्टेज, बड़ी चौपाल, छोटी चौपाल और नाट्यशाला में चल रहे कार्यक्रम भारतीय सांस्कृतिक विरासत को जीवंत कर रहे। सूरजकुंड मेला परिसर में बनी छोटी चौपाल क्षेत्र में पारंपरिक ग्रामीण जीवन की झलक देखने को मिलती है। यहां स्थानीय कलाकारों द्वारा हस्तशिल्प, लोक नृत्य, संगीत और कथा वाचन के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।