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बेहतर स्वास्थ्य के लिए रखें लीवर का खास ख्याल

04:05 AM Apr 16, 2025 IST
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लीवर हमारे शरीर का महत्वपूर्ण अंग है जो भोजन में मौजूद पोषक तत्वों का ब्रेकडाउन कर शरीर को एनर्जी प्रदान करता है, अतिरिक्त एनर्जी स्टोर करता है व टॉक्सिक पदार्थों को शरीर से बाहर निकालता है। लीवर में खराबी आने पर विषैले पदार्थ शरीर में जमा होने लगते हैं और रोगों का कारण बनते हैं। लीवर के रोगों के कारणों और उपचार के बारे में दिल्ली स्थित गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. रजनीश गुलाटी से रजनी अरोड़ा की बातचीत।

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लीवर को अगर शरीर का रियल हीरो कहा जाए तो गलत नहीं होगा। आमतौर पर हार्ट और ब्रेन शरीर में सबसे ज्यादा काम करने वाले अंग माने जाते हैं। जबकि लीवर यानी यकृत एक दिन में 500 से भी ज्यादा अलग-अलग महत्वपूर्ण काम करता है। लीवर शरीर का अकेला ऐसा अंग है जो खुद को रीजेनरेट कर सकता है। अगर इसका 75 प्रतिशत हिस्सा निकाल दें या खराब हो जाए तो भी यह खुद को रीजेनरेट कर सकता है।
ये है उपयोगिता
लीवर पूरी बॉडी के कार्यों को संचालित करने में मदद करता है। पहली बात तो इसका काम हमारे खाने में मौजूद पोषक तत्वों की अवशोषण-प्रक्रिया में मदद करना और उन्हें एनर्जी में बदलना है। लीवर भोजन में मौजूद पोषक तत्वों का ब्रेकडाउन कर शरीर को एनर्जी प्रदान करता है। जरूरत से ज्यादा बनी एनर्जी को स्टोर कर लेता है ताकि भूख लगने पर वो काम आ सके। लीवर शरीर में मौजूद विषैले या टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालता है या डिटॉक्सिफिकेशन करता है। जब हम मिर्च-मसाले या ऑयली फूड, प्रोसेस्ड फूड, एल्कोहल, तंबाकू आदि का सेवन करते हैं, तो कई विषैले पदार्थ शरीर में पहुंच जाते हैं। ब्लड में मौजूद इन टॉक्सिक पदार्थों को फिल्टर कर रिमूव करने में मदद करता है। लेकिन लीवर में खराबी होने पर डिटॉक्सिफिकेशन प्रक्रिया धीमी हो सकती है। जिसकी वजह से विषैले पदार्थ शरीर में जमा होने लगते हैं और कई बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
लीवर के अंदर मौजूद पित्त की छोटी-सी थैली होती है जिसमें बाइल डाइजेस्टिव फ्ल्यूड का निर्माण होता है। यह जूस मूलतया भोजन में मौजूद वसा को छोटे-छोटे पार्टिकल्स में ब्रेकडाउन करता है जिससे उसे पचाने में मदद मिलती है। लीवर के ठीक तरह काम न करने पर बाइल फ्ल्यूड कम मात्रा में बनता है और वसा पच न पाने के कारण व्यक्ति को अपच की समस्या से जूझना पड़ता है। फ्ल्यूड भोजन में मौजूद प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट को भी पचाने में मदद करता है। शरीर में ग्लूकोज़ के लेवल को कंट्रोल में रखता है। लीवर कई विटामिन और मिनरल स्टोर करके रखता है व जरूरत के हिसाब से इन्हें रिलीज करता रहता है। लीवर ब्लड क्लॉटिंग प्रोटीन भी बनाता है। ब्लड क्लॉट बनते हैं जो कटने,चोट लगने या दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में ब्लीडिंग रोकने में मदद करते हैं। लीवर इम्यून डिफेंस का काम भी करता है
ऐसे खराब होता है यकृत
शरीर की गाड़ी सुचारू चलाने के लिए लीवर का हेल्दी होना जरूरी है। लेकिन लीवर कई कारणों से खराब हो सकता है-
एल्कोहल सेवन से : एल्कोहल एब्यूज या शराब का अत्यधिक सेवन करना-एल्कोहल लीवर का सबसे बड़ा दुश्मन है। अध्ययनों से साबित हो गया है कि थोड़ी मात्रा में ही सही, लेकिन रेगुलर शराब पीने से लीवर सेल्स खराब होने लगते हैं। एल्कोहल पीने से खराब हुए लीवर सेल्स को रिवर्स यानी ठीक नहीं किया जा सकता।
नॉन-एल्कोहलिक वजहों से : आरामपरस्त जीवनशैली जीने, हाई-कैलोरी एवं हाई-फैट डाइट का सेवन करने, घर में बने संतुलित और पौष्टिक आहार के बजाय प्रोसेस्ड और जंक फूड की वजह से व्यक्ति मोटापे की गिरफ्त में आ जाता है। उनके लीवर में फैट जमा होने लगता जिसकी वजह से उसकी कार्यप्रणाली शिथिल हो जाती है। हेपेटाइटिस वायरल इंफेक्शन, डॉक्टर को कंसल्ट किए बिना दवाओं का सेवन, आनुवंशिक या हीमोक्रोमेटोसिस डिजीज की फेमिली हिस्ट्री होना लीवर के रोग के अन्य कारण हैं।
लीवर डेमेज होने के लक्षण
लीवर शरीर के मेटाबॉलिज्म को ठीक तरह रेगुलेट नहीं कर पाता जिससे शुरुआत में व्यक्ति को इस तरह की समस्याएं होने लगती हैं जैसे ज्यादा थकान, चिड़चिड़ाहट, कमजोरी महसूस होना ,भूख न लगना, बदहजमी, पेट दर्द या एसिडिटी व तेजी से वजन कम होना आदि। लीवर खराब होने के एडवांस लक्षणों में लीवर में सूजन होने लगती है, अनदेखा करने पर रोग धीरे-धीरे बढ़ता चला जाता है। जॉन्डिस यानी पीलिया हो जाता है यानी स्किन और आंखों का रंग व मल-मूत्र का रंग पीला होना। पैरों के निचले हिस्से और टखनों में सूजन आना। हल्की-सी चोट लगने पर भी ज्यादा ब्लीडिंग होना।
ऐसे रखें लीवर को स्वस्थ
लीवर को सुचारू रूप से चलाने और स्वास्थ्य को मेंटेन करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है : न्यूट्रीशन से भरपूर बैलेंस डाइट लें। आहार में फाइबर युक्त चीजें जैसे-ताजे फल, हरी सब्जियां, साबुत अनाज ज्यादा मात्रा में शामिल करें। लीन प्रोटीन और बेरीज, पत्तेदार सब्जियां, नट्स जैसे एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ जरूर शामिल करें। यह सभी चीजें लीवर को टॉक्सिन से लड़ने में मदद करती हैं। मिष्ठान, कोल्ड ड्रिंक्स, जूस या सेचुरेटिड फैटी एसिड से भरपूर चीजें कम लें। ऑयली या गरिष्ठ भोजन से परहेज करें। फास्ट फूड या जंक फूड खाने से बचें। आइसक्रीम, मिल्क शेक, फ्रूट क्रीम जैसी चीजें कम मात्रा में लें। ये लीवर पर ज्यादा लोड डालती हैं जिसकी वजह से लीवर खराब हो सकता है।
हाइड्रेशन यानी पानी पीना आपके लीवर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। दिन भर में कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर पिएं। हेल्दी वेट मेंटेन करें और अपने आपको एक्टिव रखें। नियमित व्यायाम, योगा, एक्सरसाइज, एरोबिक्स या ब्रिस्क वॉक करें। स्ट्रेस-फ्री रहें। रोजाना मेडिटेशन करें। हॉबीज को समय दें, प्रकृति के सान्निध्य में रहें। दिन में कम से कम 6-7 घंटे की नींद जरूर लें। वहीं टॉक्सिंस और हार्मफुल केमिकल से एक्सपोज़र अवॉइड करें। हेपेटाइटिस ए, बी और सी वायरस से बचने के लिए वैक्सीनेशन लें।

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