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बेहतर सेवाएं प्रदान करना रेलवे का जिम्मा

04:05 AM Dec 17, 2024 IST
उपभोक्ता अदालत से न्याय

 

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ट्रेन में सफर के दौरान यात्रियों को सुरक्षा और सुविधाओं के अलावा कई अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ता है। तय समय तक ठहराव न करना, गेट न खुलना , अस्वच्छ बेडरोल या फिर कंबल आदि नहीं मिलना रेल सेवा संबंधी कमियां मानी जाती हैं। इन कमियों की शिकायत यात्री द्वारा उपभोक्ता आयोग में की जा सकती है।

श्रीगोपाल नारसन
एक महिला यात्री अपने दो रिश्तेदारों के साथ मध्य प्रदेश स्थित गंज बासौदा स्टेशन पर ट्रेन पकड़ने के लिए खड़ी थी। ट्रेन आई तो जिस कोच में उसकी बर्थ आरक्षित थी उसका गेट ही नहीं खुला। ट्रेन चलने पर महिला दूसरे कोच में चढ़ने लगी, लेकिन हड़बड़ी में गिर गई। उसे चोट भी आई। किसी तरह वह अपनी आरक्षित सीट तक पहुंच पाई। महिला ने इस संबंध में रेल प्रशासन से शिकायत की, लेकिन न्याय नहीं मिला। इसके बाद महिला ने जिला उपभोक्ता आयोग में याचिका दायर की। आयोग ने उपभोक्ता के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए रेलवे को उपभोक्ता सेवा में कमी के लिए जिम्मेदार ठहाराया और यात्री को हुई असुविधा के लिए मानसिक क्षतिपूर्ति राशि 15 हजार रुपये और वाद व्यय 1500 रुपये देने का आदेश दिया। यह शिकायत गंज बासौदा निवासी एक महिला यात्री ने भोपाल मंडल के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक (सीनियर डीसीएम) के खिलाफ 2013 में जिला उपभोक्ता आयोग में दर्ज कराई थी। उपभोक्ता आयोग ने हर्जाना देने का आदेश दिया, लेकिन रेलवे ने इस फैसले के खिलाफ राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील कर दी। दिसंबर 2021 में राज्य उपभोक्ता आयोग ने रेलवे की अपील को खारिज करते हुए महिला यात्री के पक्ष में निर्णय सुनाया। आयोग के अध्यक्ष व एक सदस्य की बेंच ने जिला उपभोक्ता आयोग के सुनाए गए निर्णय को सही ठहराया और रेलवे को जल्द से जल्द हर्जाना देने का आदेश दिया।
चोट लगी, बेडरोल भी नहीं मिला
इस महिला यात्री ने 22 दिसंबर 2012 को झेलम एक्सप्रेस में गंजबा सौदा से पुणे के लिए बी-1 कोच में तीन सीट आरक्षित की थीं। ट्रेन आने पर बी-1 कोच का गेट बंद मिला। खटखटाने के बाद भी गेट नहीं खुला। ट्रेन चलने पर यात्री बी-4 में हड़बड़ी में चढ़ने लगी। जल्दबाजी में वह गिर गई, जिससे उसे चोट भी आई। बाद में महिला फिर बी-4 कोच में चढ़ी। वह दो रिश्तेदारों के साथ पैर के इलाज के लिए पुणे जा रही थी। गंज बासौदा में ट्रेन का स्टापेज कम समय के लिए होने के कारण महिला का पति भी सामान रखने के लिए ट्रेन में चढ़ गया तो उतर नहीं पाया। टीसी और कोच अटेंडेंट भी दूसरे कोच में सो रहे थे। उन्हें बेडरोल भी नहीं मिला। इस कारण महिला को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
रेलवे की दलील
मामले में रेलवे का तर्क था कि यात्री देर से स्टेशन पहुंची। इस कारण हड़बड़ी में उन्हें दूसरे कोच में चढ़ना पड़ा। इस तर्क को आयोग ने खारिज कर दिया और रेलवे को सेवा में कमी का दोषी ठहराते हुए हर्जाना देने का आदेश दिया।
अस्वच्छ कंबल से तबीयत बिगड़ने का मामला
ऐसे ही एक अन्य मामले में एसी कोच में दिए जाने वाले कंबल की वजह से यात्रियों की तबीयत खराब हो गई। मामला लखनऊ से वाराणसी सिटी जाने वाली 15008 कृषक एक्सप्रेस का था। थर्ड एसी कोच में सफर करने वाले यात्रियों ने कंबल से दुर्गंध आने की शिकायत के लिए कोच अटेंडेंट को तलाशा। लेकिन वह नहीं मिला, तब टीटीई को इस बारे में बताया गया। जैसे ही ट्रेन बादशाहनगर स्टेशन पहुंची, यात्रियों को उल्टियां होने लगीं। तीन यात्रियों की तबीयत इतनी बिगड़ी कि मेडिकल टीम बुलानी पड़ी। गंदे बेडरोल को लेकर अक्सर ऐसी शिकायतें आती रहती हैं। हर यात्री को एक तकिया, दो चादर, एक कंबल और एक छोटा तौलिया मिलता है। कंबल हर दो महीने में ड्राई क्लीन कराए जाने व चादर, तौलिया आदि हर बार इस्तेमाल के बाद धोए जाने का नियम है।
बेडरोल नहीं मिले तो...
रायपुर और बिलासपुर से चलने वाली दर्जनभर ट्रेनों के एसी कोच में यात्रियों को बेडरोल नहीं देने की शिकायतें सामने आई हैं कि रनिंग स्टाफ बेडरोल देने से साफ मना कर रहे हैं। ऐसे में पीड़ित यात्री उपभोक्ता आयोग की शरण में जा सकता है व राहत मांग सकता है। वहीं छत्‍तीसगढ़ के कई इलाकों में रात में अच्छी ठंड पड़ रही है। यात्री बिना बेडरोल के कंपकंपाते हुए यात्रा करने को मजबूर हैं। एसी कोच में सफर करने वाले अधिकांश यात्री ज्यादा लगेज होने और ठंड से बचने के लिए अपने साथ कंबल तक लेकर नहीं चलते हैं। यात्रियों को पूरी उम्मीद होती है कि एसी कोच में सफर कर रहे हैं तो बेडरोल मिलेगा। वहीं यात्री, जब ट्रेन में सवार होते हैं तो उन्हें जानकारी मिलती है कि बेडरोल उपलब्ध ही नहीं है। कोच में अटेंडेंट स्टाफ को खोजते हैं तो वो भी नहीं मिलते। ठंड के मौसम में एक्सप्रेस ट्रेनों के एसी कोच में बेडरोल न मिलने से यात्रियों की परेशानी बढ़ जाती है। जिसके लिए पीड़ित यात्री उपभोक्ता आयोग में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं और राहत प्राप्त कर सकते हैं। -लेखक उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।

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