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बिहार : घर-घर जांच में बड़ी संख्या में मिले नेपाली और बांग्लादेशी

05:00 AM Jul 14, 2025 IST
बिहार के नवादा में लोगों की जानकारी एकत्र करते बूथ अधिकारी। -एएनआई
नयी दिल्ली, 13 जुलाई (एजेंसी)

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निर्वाचन आयोग के क्षेत्रीय अधिकारियों ने बिहार में मतदाता सूची के जारी के गहन पुनरीक्षण अभियान के तहत घर-घर जाकर जांच की और इस दौरान ‘बड़ी संख्या में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमा' के लोग मिले हैं। अधिकारियों ने रविवार को बताया कि उचित जांच के बाद 30 सितंबर को प्रकाशित होने वाली अंतिम मतदाता सूची में अवैध प्रवासियों के नाम शामिल नहीं किए जाएंगे। रिपोर्ट का हवाला देते हुए, निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने बताया कि घर-घर जाकर की गई जांच के दौरान बूथ स्तर के अधिकारियों को ‘बड़ी संख्या में' नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमा के लोग मिले हैं। निर्वाचन आयोग अंततः पूरे भारत में मतदाता सूचियों का एक विशेष गहन पुनरीक्षण करेगा ताकि विदेशी अवैध प्रवासियों के जन्मस्थान की जांच करके उन्हें बाहर निकाला जा सके। बिहार में इसी साल चुनाव होने वाले हैं, जबकि अन्य पांच राज्यों असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। हाल में विभिन्न राज्यों में बांग्लादेश और म्यांमा सहित अवैध विदेशी प्रवासियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के बाद यह कदम खास महत्व रखता है।

पूरे देश में मतदाता सूची सूची के पुनरीक्षण की तैयारी

निर्वाचन आयोग ने बिहार की तरह ही अगले महीने अखिल भारतीय स्तर पर मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरू करने के लिए सभी राज्यों में अपनी चुनाव मशीनरी को सक्रिय कर दिया है। कई विपक्षी दलों और अन्य लोगों ने इस व्यापक प्रक्रिया को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था और कहा था कि इससे पात्र नागरिकों को उनके मताधिकार से वंचित होना पड़ेगा। कुछ राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) ने अपने-अपने राज्यों में पूर्व में किये गए विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद प्रकाशित मतदाता सूची को जारी करना शुरू कर दिया है। दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर 2008 की मतदाता सूची उपलब्ध कराई गई है, जब राष्ट्रीय राजधानी में अंतिम बार व्यापक पुनरीक्षण हुआ था। उत्तराखंड में, आखिरी विशेष गहन पुनरीक्षण 2006 में हुआ था और उस वर्ष की मतदाता सूची अब राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर उपलब्ध है। राज्यों में पिछला विशेष गहन पुनरीक्षण, आधार तिथि के रूप में काम करेगा, क्योंकि निर्वाचन आयोग बिहार की 2003 की मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण कर रहा है। अधिकांश राज्यों ने 2002 और 2004 के बीच मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण किया था।

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सरकार की ‘कठपुतली’ है आयोग : सिब्बल

राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग हमेशा से मोदी सरकार के हाथों की ‘कठपुतली’ रहा है। एक इंटरव्यू में उन्होंने दावा किया कि बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण एक ‘असंवैधानिक’ कदम है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बहुसंख्यकवादी सरकारें सत्ता में बनी रहें।

 

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