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बाल कहानियों में जीवन की सीख

04:00 AM Dec 22, 2024 IST

बृज मोहन तिवारी
‘कपीश जब डर गया’ डॉ. घमंडीलाल अग्रवाल द्वारा लिखित एक प्रेरणादायक और शिक्षाप्रद पुस्तक है। पुस्तक में कुल 10 बाल-कहानियां हैं, जो विभिन्न स्थितियों से मुकाबले, साहस, आत्मविश्वास और नैतिक शिक्षा पर आधारित हैं।
प्रथम कहानी ‘कपीश जब डर गया’ बच्चों को डर और शरारतों से बचने का संदेश देती है। यह कहानी सिखाती है कि किसी भी बात को बिना जानकारी के न मानें और न ही दूसरों को डराएं। ‘दो चूहे’ कहानी में भी महत्वपूर्ण संदेश दिया गया है कि पौष्टिक आहार और नियमित व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करना ज़रूरी है।
‘गधों ने मांग की’ गधों के समाज में अन्याय और कष्टों को दर्शाती है। ‘नहीं चाहिए पंख’ आत्मस्वीकृति और संतोष का महत्वपूर्ण पाठ प्रस्तुत करती है। यह दिखाती है कि अपनी प्राकृतिक स्थिति सबसे श्रेष्ठ होती है।
‘चिड़चिड़ा शेर’ स्वास्थ्य, मानसिक तनाव और सहयोग के महत्व को समझाती है। ‘जीव का बैरी जीव’ जंगल के जीवों के सह-अस्तित्व, सतर्कता और खतरे से बचाव का पाठ देती है।
‘चीते की दादागीरी’ में यह दिखाया गया है कि किसी भी प्राणी के अधिकारों का सम्मान होना चाहिए और हिंसा से बचना चाहिए। ‘राजा का चुनाव’ कहानी शिक्षा देती है कि सही नेतृत्व सहानुभूति, सेवाभाव और समर्पण के आधार पर संभव होता है।
‘तितली और मधुमक्खियां’ में परागण की प्रक्रिया और उसके महत्व को प्रभावशाली तरीके से समझाया गया है। अंतिम कहानी, ‘कैमरे में कैद हुआ चोर’ न्याय, सुरक्षा और अपराध के प्रति जागरूकता का संदेश देती है।
कुल मिलाकर, इन सभी बाल कहानियों में लेखक ने सरल, प्रभावशाली और बच्चों की समझ में आने वाली भाषा का उपयोग किया है।

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पुस्तक : कपीश जब डर गया (बाल कहानी-संग्रह) कहानीकार : डॉ. घमंडीलाल अग्रवाल प्रकाशक : आकांक्षा प्रकाशन, नई दिल्ली पृष्ठ : 32 मूल्य : रु. 90.

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