For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

बड़े लक्ष्यों के लिए सुधारों की पहल

04:00 AM Jan 15, 2025 IST
बड़े लक्ष्यों के लिए सुधारों की पहल
Pune: Chief of the Army Staff General Upendra Dwivedi during a visit to Artificial Limb Centre, in Pune, Tuesday, Jan. 14, 2025. (PTI Photo/Kunal Patil)(PTI01_14_2025_000251A)
Advertisement

पिछली पौन सदी में भारतीय सेना का इतिहास गौरवशाली सफलताओं का रहा है। चीन के छल से सबक लेकर भारत ने लद्दाख में अपनी सुरक्षा तैयारियों को मजबूती और संरचनात्मक विकास को गति दी है। सेना लगातार परिवर्तन के जरिये अपनी क्षमताओं को धार दे रही है।

Advertisement

डॉ. लक्ष्मी शंकर यादव

पंद्रह जनवरी, 1949 को सेना प्रमुख के तौर पर एक भारतीय नागरिक लेफ्टिनेंट जनरल के.एम. करियप्पा को तत्कालीन ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ जनरल सर फ्रांसिस बूचर से सेना की आधिकारिक कमान सौंप दी गई थी। इसके अगले वर्ष 1950 से 15 जनवरी को देश में सेना दिवस मनाए जाने की परंपरा की शुरुआत हुई। भारतीय सेना ने देश को अखंड भारत बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। तबसे भारतीय सेना की ताकत में भी लगातार वृद्धि की जा रही है।
चीन से चल रहे तनाव को देखते हुए अब चीन सीमा के निकट भारतीय सेना पूरे वर्ष जवाब देने के लिए तैयार रहती है। भारत-चीन सीमा विवाद के चलते सेना की ताकत में इजाफा करना जरूरी है। इसीलिए सेना ने पर्यावरण मंत्रालय से गोला-बारूद और सैन्य उपकरणों के भंडारण की अनुमति मांगी थी। इसके लिए अभी हाल ही में पर्यावरण मंत्री की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी, जिसमें राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड ने सेना के प्रस्ताव पर विचार करते हुए ‘हानले’ और ‘फोटी ला’ के पास गोला-बारूद भंडारण सुविधा की स्थापना किए जाने की अनुमति प्रदान कर दी। इसके अलावा सैन्य उपकरणों के भंडारण के लिए भूमिगत गुफाएं बनाने की स्वीकृति दे दी। यही नहीं, लुकुंग में मजबूत सैन्य उपस्थिति किए जाने का प्रस्ताव पेश किया गया।
यह बुनियादी ढांचा चांगथांग उच्च ऊंचाई वाले शीत मरुस्थल के वन्यजीव अभयारण्य और कराकोरम नुब्रा श्योक वन्यजीव अभयारण्य में विकसित किया जाएगा। इस निर्माण का उद्देश्य गोला-बारूद की आपूर्ति में तेजी लाना है, जिससे युद्ध की स्थिति में संचालनगत तैयारी को बिना विलंब के सुनिश्चित किया जा सके। रक्षा अवसंरचना के लिए निर्धारित स्थान संरक्षित क्षेत्रों की श्रेणी में आते हैं। इस कारण वे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 29 के अधीन हो जाते हैं। इसीलिए रक्षा मंत्रालय को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि इस क्षेत्र को कोई नुकसान न पहुंचे।
यह ऐसा क्षेत्र है जहां सेना की कुछ इकाइयां तैनात हैं। फोटी ला, कोयुल, पुंगुक और हानले आदि अग्रिम क्षेत्रों में सैन्य तैनाती है। फोटी ला अधिक ऊंचाई वाले पर्वतीय दर्रों में से एक है। यह हानले से तकरीबन 30 किलोमीटर दूरी पर है और डेमचोक का मार्ग भी है। अभी फोटी ला से 300 किलोमीटर और हानले से 250 किलोमीटर दूरी पर अस्थायी रूप से गोला-बारूद एकत्र किया जाता है। इसलिए आपूर्ति में देरी होती है और संचालनात्मक प्रक्रिया में विलंब होता है।
भारतीय सेना को अब अत्याधुनिक बनाने के लिए चालू वर्ष 2025 में लागू किए जाने वाले सुधारों का खाका तैयार कर लिया गया है। अब भारतीय सेना कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग के माध्यम से स्वदेशी सामानों का उपयोग तथा रक्षा कूटनीति को बढ़ावा देने पर ध्यान देगी। इसके लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सेना के लिए वर्ष 2025 को ‘सुधारों का वर्ष’ घोषित किया है। यह कार्य सेना के लिए अधिक चुस्त, तकनीकी रूप से उन्नत और युद्ध के लिए तैयार रहने के हेतु एक नए बदलाव का संकेत है। नए सुधारों के लिए सेना का व्यापक दृष्टिकोण पांच प्रमुख स्तंभों पर आधारित होगा। ये स्तंभ संयुक्तता व एकीकरण, सुरक्षा बलों का पुनर्गठन, सैन्य आधुनिकीकरण व प्रौद्योगिकी, संचार प्रणाली व प्रक्रियाएं तथा मानव संसाधन प्रबंधन हैं। विदित हो कि सेना ने इससे पहले वर्ष 2023 को ‘परिवर्तन का वर्ष’ एवं वर्ष 2024-25 को ‘प्रौद्योगिकी अपनाने का वर्ष’ घोषित किया था।
भारतीय सेना की असॉल्ट राइफल की कमी दूर करने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने स्वदेशी असॉल्ट राइफल ‘उग्रम’ को तैयार कर दिया है। इसे मात्र 100 दिनों में ही डीआरडीओ ने तैयार किया है। यह शत्रु को 500 मीटर की दूरी से मार गिराएगी। इसका वजन चार किलोग्राम है। इसमें 20 राउंड गोलियों की मैगजीन को लोड किया जा सकता है। यह सिंगल और फुल ऑटो मोड में फायर कर सकती है। यह 7.62 मिमी कैलिबर वाली राइफल है। तभी दिसंबर, 2023 में रक्षा अधिग्रहण परिषद ने इसी कैलिबर की यूएस निर्मित 70,000 असॉल्ट राइफलों की खरीद को मंजूरी प्रदान की है। इस राइफल को सेना, अर्धसैनिक बलों और राज्यों की पुलिस इकाइयों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
भारतीय सेना की तोपखाना रेजीमेंट में महिला अधिकारियों को शामिल किए जाने का निर्णय लिया जा चुका है। इस रेजीमेंट में विभिन्न कैलिबर की बंदूकें, सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें, मोर्टार और मानव रहित हवाई प्लेटफॉर्म शामिल हैं। विदित हो कि सेना की रेजीमेंट और कोर को आर्म्स और सर्विसेज में बांटा गया है। आर्म्स में इन्फैन्ट्री, आर्मर्ड कोर, तोपखाना, इंजीनियर्स, आर्मी एयर डिफेंस, आर्मी एविएशन कॉर्प्स, और मिलिटरी इंटेलिजेंस शामिल हैं। सरकार के इस निर्णय से महिलाएं लगभग सभी सैन्य विभागों में सेवाएं देंगी।
लद्दाख क्षेत्र में सीमा पर टैंक व सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की तैनाती कर दी गई है। सेना की आपूर्ति व्यवस्था में कोई परेशानी न आए, इसके लिए सीमा पर बिछाई गई सड़कों के जाल ने स्थिति को बेहतर बना दिया है। सैन्य ताकत के रूप में भारतीय थल सेना में इस समय 14 लाख सक्रिय सैनिक हैं। इसके अलावा 3565 युद्धक टैंक, लड़ाई में प्रयोग आने वाले वाहन 3100, आर्म्ड पर्सनल कैरियर्स 336 तथा आर्टिलरी गन 9729 हैं। इसके अतिरिक्त सेना के पास परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम अनेक प्रकार की मिसाइलें हैं।

Advertisement

Advertisement
Advertisement