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बगैर डाइटिंग वेट लॉस में मददगार

04:05 AM Jul 16, 2025 IST
बगैर डाइटिंग वेट लॉस में मददगार
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प्रतिदिन एक निश्चित समय में ही भोजन करने व बाकी समय केवल हल्के पेय ही पीने का नियम है इंटरमिटेंट फास्टिंग। उपवास की इस शैली पर कई शोध हुए हैं। वजन व बॉडी फैट कम करने को लेकर यह लोकप्रिय है। यह भी कि इंटरमिटेंट उपवास से पाचन सुचारू रहता है और बीमारियों से भी बचाव होता है। इसमें डाइटिंग नहीं की जाती है।

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राजकुमार ‘दिनकर’
चर्चा का विषय बना रहता है कि क्या सप्ताह में एक या दो दिन का उपवास और उस उपवास में खाई जाने वाली चीजों से वजन कम किया जा सकता है? इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदों के बारे में कई शोध भी सामने आते रहते हैं। सवाल यह भी कि इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या वाकई लंबी और सेहतमंद जिंदगी के लिए कारगर है? बता दें कि इंटरमिटेंट फास्टिंग, उपवास का वह तरीका है, जिसमें न तो पूरे दिन भूखे रहना है और न ही पूरे दिन फास्टिंग के नाम पर एक ही तरह की डाइट को फॉलो करना है। बल्कि एक निश्चित समय में उस समय का भोजन ग्रहण करना है। इसमें आप कुछ समय तक ठोस आहार शामिल नहीं करते।
ये फायदे हैं इंटरमिटेंट फास्टिंग के
इंटरमिटेंट फास्टिंग के कई फायदे हैं। एक निश्चित समय पर भोजन करने से वजन कम होता है। बॉडी फैट कम रहता है। वहीं पाचन क्रिया सुचारू रहती है और बीमारियों से भी बचाव होता है। इसमें खाने को हर दिन एक निश्चित समय सीमा तक सीमित रखने पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करना होता है, जिससे शरीर में कोलेस्ट्रोल कम होता है, ब्लड प्रेशर काफी हद तक नियंत्रित रहता है। एंटी एजिंग के लिए यह असरदार तरीका है। दरअसल, इंटरमिटेंट फास्टिंग से हमारी बॉडी सेल्स पर इसका सकारात्मक असर पड़ता है और बेहतर नींद भी आती है। इमोशनल ईटिंग पर भी यह रोक लगाता है जिससे कैलोरीज कम होती है।
दो पीरियड पर आधारित
16 : 8- इसमें 16 घंटे का फास्ट रहता है और 8 घंटे का ईटिंग विंडो रहता है। 16 घंटे तक खाने में कोई ठोस आहार नहीं लिया जाता। पानी के अलावा चाय, कॉफी, नीबू, नारियल पानी आदि पीते हैं। लेकिन फास्टिंग और ईटिंग विंडो का समय अपने कार्य की शैली और डेली रूटीन के अनुसार करें। फास्टिंग के बाद खाने की शुरुआत फलों से करें। ईटिंग विंडो में पोषण से भरपूर खाद्य पदार्थ अपने भोजन में शामिल करें।
5 : 2- इस पीरियड में भी एक फास्टिंग का और दूसरा खाने का तरीका होता है। इसमें दो दिन फास्टिंग करनी होती है और बाकी पांच दिन स्वस्थ और पोषणयुक्त आहार लेना होता है। इन दो दिनों में फल, दूध, दही, दलिया, दालें और सब्जियां खाएं। यह सभी कम कैलोरीयुक्त आहार शरीर को पोषण देते हैं।
महिलाओं के लिए कैसे है लाभकारी
इंटरमिटेंट फास्टिंग महिलाओं के लिए विशेष तौर पर फायदेमंद मानी जाती है। जानिये खाने का यह पैटर्न महिलाओं को किस प्रकार से लाभ पहुंचा सकता है-
हार्मोनल संतुलन - इस उपवास में हार्मोन्स को संतुलित करने में बढ़ावा मिलता है जिससे पीसीओएस जैसी समस्याओं को भी कम करने में मदद मिलती है। जब पाचन प्रक्रिया पूरी होती है तो पेट फूला हुआ नहीं महसूस होता और पाचन संबंधी परेशानियों में भी ऐसी फास्टिंग से फायदा मिलता है। इसके अलावा तनाव के कारण शरीर में जो सूजन आ जाती है और उस सूजन से जो दूसरी बीमारियां होने का अंदेशा रहता है, इस फास्टिंग से उन सबसे निपटने में सहायता मिलती है।
इंटरमिटेंट उपवास से वजन कम करने के अलावा पाचन क्रिया दुरुस्त रहना, शरीर में इंसुलिन व कार्बोहाइड्रेट का संतुलन, टाइप-2 मधुमेह के खतरों को कम करना, जैसे लाभ हमें मिलते हैं। यही वजह है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग रे शरीर को ऊर्जा उत्पन्न करना सिखाता है और ऊर्जावान बने रहकर हम लंबी उम्र पा सकते हैं। इंटरमिटेंट फास्टिंग एक बेहतरीन जीवनशैली है, जहां आपको किसी खास तरह की डाइटिंग नहीं करनी, न ही खाने में कैलोरी की चिंता करनी है। लेकिन हां, अगर ब्लड शुगर लो है या डायबिटीज है तो अपने डॉक्टर से सलाह के बाद ही इसको करें।                                                    -इ.रि.सें.

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