फीस देने के बावजूद रेहड़ी-फड़ी वालों को नहीं करने दिया जा रहा काम
मोहाली, 13 जून (निस)
मोहाली के रेहड़ी-फड़ी संचालकों ने आरोप लगाया है कि निगम द्वारा लाइसेंस बनने और नियमित फीस जमा करवाने के बावजूद उन्हें काम करने की अनुमति नहीं दी जा रही। इस समस्या को लेकर आज रेहड़ी-फड़ी यूनियन के पदाधिकारी मेयर अमरजीत सिंह जीती सिद्धू से मिले और अपनी शिकायत दर्ज करवाते हुए इंसाफ की फरियाद लगाई। रेहड़ी-फड़ी यूनियन के प्रधान वी.के. बिट्टू की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल ने मेयर को उनकी समस्या के बारे में विस्तार से अवगत कराया। मेयर ने भरोसा दिलाया कि जो रेहड़ी-फड़ी संचालक वैध लाइसेंसधारक हैं, उनकी समस्या का समाधान संबंधित अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श के बाद निकाला जाएगा। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शहर में अवैध रेहड़ी-फड़ी लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी बिना लाइसेंस वालों का सामान जब्त किया जाएगा। इस अवसर पर समाजसेवी जसविंदर शर्मा ने भी रेहड़ी-फड़ी वालों का पक्ष रखते हुए कहा कि निगम द्वारा बिना कारण वैध लाइसेंस धारकों और फीस जमा करवाने वाले रेहड़ी वालों को परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक तरफ निगम फीस वसूलता है, वहीं दूसरी ओर काम नहीं करने देता। कई रेहड़ी संचालकों ने बैंक से लोन लेकर अपने काम शुरू किए हैं और अब किश्तें भरने में दिक्कत आ रही है। उन्होंने कहा कि जेन्युइन रेहड़ी वालों को तंग न किया जाए। इस मौके पर रेहड़ी-फड़ी यूनियन के प्रधान वी.के. बिट्टू ने कहा कि नगर निगम द्वारा यह कहा जा रहा है कि जो लाइसेंस जारी किए गए हैं वो चलते-फिरते व्यवसाय के लिए हैं, जबकि वे कई वर्षों से एक ही स्थान पर स्थायी रूप से काम कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें 'चलते-फिरते' लाइसेंस मान्य नहीं हैं। यदि निगम द्वारा इस प्रकार की परेशानियां जारी रहीं तो वे इसका विरोध करेंगे और धरने पर बैठेंगे। इस अवसर पर वरिष्ठ डिप्टी मेयर अमरीक सिंह सोमल और पार्षद कमलप्रीत सिंह बन्नी भी उपस्थित थे।
नारियल बेचने वाले कई वेंडर नहीं दे रहे निगम को कोई पैसा
मेयर ने यह भी बताया कि उनके ध्यान में यह बात भी आई है कि नारियल पानी बेचने वाले कई स्टॉल संचालक महीनों से फीस जमा नहीं कर रहे हैं। इस पर जल्द जांच करवाकर ऐसे स्टॉल बंद करवाए जाएंगे और जब तक बकाया फीस जमा नहीं होती, उन्हें दोबारा स्टॉल लगाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे लोगों को अगली बार नीलामी में भी शामिल नहीं होने दिया जाएगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार मोहाली नगर निगम की नारियल बेचने की 43 साइट हैं जिनमें से सिर्फ 23 की ही बोली हुई थी।