फील्ड टेस्टिंग किट से पानी की गुणवत्ता जांचने की विधि सिखाई
गुहला चीका, 5 मार्च (निस)
जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने व जल जीवन मिशन को गति देने के उद्देश्य से जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग एवं जल व स्वच्छता सहायक संगठन द्वारा जिले के विभिन्न खंडों में 29 जनवरी से चलाया जा रहा क्षमता संवर्धन प्रशिक्षण कार्यक्रम आज 5 मार्च को गुहला में संपन्न हो गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में कुल 277 सरपंचों, 1108 पंचों, 277 स्वयं सहायता समूहों व 200 ग्राम सचिवों को प्रशिक्षण दिया गया। खंड पुंडरी, ढांड, राजौंद, कलायत, कैथल, सीवन व गुहला में आयोजित इन कार्यशालाओं में जल संरक्षण, जल जीवन मिशन, पेयजल की गुणवत्ता, विश्व जल दिवस, जल आपूर्ति योजना, ग्राम जल एवं सीवरेज समिति के अधिकारों, कर्तव्यों व स्वयं सहायता समूहों की भूमिका की जानकारी दी गई। प्रशिक्षार्थियों को फील्ड टेस्टिंग किट के माध्यम से पानी की गुणवत्ता जांचने की विधि भी सिखाई गई।
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग वासो के जिला सलाहकार दीपक कुमार ने कहा कि 1951 में जब देश की आबादी 36 करोड़ थी, तब प्रति व्यक्ति 5177 क्यूबिक लीटर पेयजल उपलब्ध था। वहीं 2011 में भारत की आबादी बढ़कर 121 करोड़ हो गई जबकि पेयजल उपलब्धता घटकर 1150 क्यूबिक लीटर रह गई, जो गंभीर जल संकट को दर्शाता है। देश में लगभग 85 प्रतिशत पेयजल और 60 प्रतिशत सिंचाई भूमिगत जल स्रोतों पर निर्भर है, लेकिन अनियंत्रित दोहन के कारण देश के 256 जिलों को डार्क जोन में डाल दिया गया, जिनमें राजौंद व गुहला खंड शामिल है। उन्होंने जल संकट से निपटने के लिए वृक्षारोपण, वर्षा जल संचयन, पारंपरिक जल स्रोतों का पुनरुद्धार, जल कुंडों का निर्माण, जल पुनर्भरण संरचनाओं को अपनाने पर जोर दिया। आज गुहला बीडीपीओ सभागार में कार्यक्रम के समापन पर 22 गांवों के सरपंचों, पंचों, ग्राम सचिवों व स्वयं सहायता समूहों ने भाग लिया। सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के आईईसी एक्सपर्ट विक्रम सिंह ने अटल भूजल योजना की जानकारी दी। बीआरसी विष्णु शर्मा ने ग्राम जल एवं स्वच्छता कमेटी के कर्तव्यों पर प्रकाश डाला।