फसल विविधीकरण से कृषि उत्पादन में होगी बढ़ोतरी : काम्बोज
इस दौरान उन्होंने ने वैज्ञानिकों से किसानों को उन्नत किस्म के बीजों, जैव उर्वरकों एवं टिकाऊ खेती की तकनीकों से अवगत करवाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन देने वाली फसलों तथा मृदा स्वास्थ्य सुधार के दृष्टिगत जैविक खेती की विधियों के बारे में जागरूक करने की जरूरत है। फसल विविधीकरण को अपनाकर किसान अपने कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी कर सकते हैं। खरपतवार, कीट व रोग नियंत्रण के बारे में किसानों को जागरूक करना चाहिए।
उन्होंने एग्रोनॉमी विभाग के रिसर्च फॉर्म में गेहूं, सरसों, चना सहित विभिन्न रबी सीजन की फसलों पर चल रहे विभिन्न प्रयोगों का निरीक्षण किया व नवीनतम तकनीकों पर चल रहे शोध की प्रगति के बारे में जानकारी ली। उन्होंने उपरोक्त फसलों से संबंधित प्रयोगों के बारे में आवश्यक दिशा-निर्देश और विभागों को आपसी तालमेल के साथ कार्य करने की हिदायत दी। उन्होंने विभाग के शोध प्रक्षेत्र परिसर में पौधरोपण भी किया।
अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे अनुसंधान कार्यों, जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण, नवीनतम तकनीकों सहित विभिन्न बिंदुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। विभागाध्यक्ष डॉ. संजय ठकराल ने विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों की विस्तृत जानकारी दी। डॉ. दादरवाल ने बैठक में आए हुए सभी अधिकारियों का धन्यवाद किया। मंच संचालन डॉ. प्रवीन कुमार ने किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. पवन कुमार, मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक डॉ. रमेश यादव, दीन दयाल उपाध्याय जैविक खेती उत्कृष्टता केंद्र के निदेशक डॉ. अनिल यादव सहित अन्य सस्य वैज्ञानिकों ने भी भाग लिया।