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फर्जी यूनिवर्सिटी की डिग्री से बने प्रोफेसर, सरकार ने बनाई जांच कमेटी

04:23 AM Jan 16, 2025 IST
फर्जी यूनिवर्सिटी की डिग्री से बने प्रोफेसर  सरकार ने बनाई जांच कमेटी
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चंडीगढ़, 15 जनवरी (ट्रिन्यू)
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हरियाणा के कॉलेजों में बड़ी संख्या में ऐसे सहायक और सहयोगी प्रोफेसर हैं, जो दूसरे राज्यों की फर्जी यूनिवर्सिटी (यूजीसी से संबद्ध नहीं) की डिग्री लेकर प्रमोशन ले चुके हैं। ऐसे सभी शिक्षक अब सरकार के निशाने पर हैं। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट भी इस मामले में कड़ा नोटिस ले चुका है। हाईकोर्ट द्वारा हॉयर एजुकेशन डिपार्टमेंट के अधिकारियों को फटकार भी लगाई जा चुकी है।

एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा इसकी जांच की जा रही है। अब हॉयर एजुकेशन डिपार्टमेंट ने भी इस पूरे मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन किया है। सूत्रों का कहना है कि 120 के करीब ऐसे प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक और सहयोगी प्राध्यापक हैं, जिन्होंने दूसरे राज्यों की प्राइवेट यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री हासिल की है। यूजीसी यानी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानकों पर ये डिग्री खरी नहीं उतर रहीं। इसी वजह से जांच की जरूरत पड़ी।

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यह मामला सामने आने के बाद सरकार ने एंटी करप्शन ब्यूरो को डिग्रियों की जांच का जिम्मा सौंपा। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद अब विभाग की कमेटी सर्टिफिकेट्स की जांच करेगी। इतना ही नहीं, संबंधित प्राध्यापकों की प्रमोशन पर भी रोक लगा दी है। दूसरी ओर, प्राध्यापकों का एक वर्ग डिग्रियों की किसी केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने की मांग कर रहा है, जिससे पूरी सच्चाई सामने आ सके।

पहले चरण में आठ से 10 जनवरी तक दस्तावेजों की जांच कर चुकी उच्चतर शिक्षा विभाग की कमेटी ने बुधवार को फिर से रिकार्ड जांचने का काम शुरू कर दिया। संबंधित प्राध्यापकों को पीएचडी के कोर्स वर्क सर्टिफिकेट, लीव रिकार्ड व संबंधित विवि के पीएचडी आर्डिनेंस सहित अन्य रिकार्ड के साथ बुलाया है। कमेटी द्वारा 21 जनवरी तक सर्टिफिकेट्स की जांच की जाएगी। 22 जनवरी को हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी।

सुनवाई के दौरान विभाग को हाईकोर्ट में बताना होगा कि एंटी करप्शन ब्यूरो को जांच कब सौंपी। साथ ही, एंटी करप्शन ब्यूरो की रिपोर्ट के बारे में भी बताना होगा। इस दौरान विभाग द्वारा बनाई गई कमेटी अपनी जांच पूरी कर लेगी। कमेटी की जांच रिपोर्ट भी हाईकोर्ट में पेश की जाएगी। यहां बता दें कि पिछले साल 9 दिसंबर को हुई सुनवाई में विभाग के आला अधिकारियों को हाईकोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होना पड़ा था।

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