प्लाईवुड फैक्टरी में प्रयोग हो रहा किसानों का सब्सिडीयुक्त यूरिया
किसानों का सब्सिडी वाला यूरिया लंबे समय से प्लाईवुड फैक्टरियों में चोरी छुपे इस्तेमाल होता आ रहा है। कई बार छापेमारी हुई। कई बार ऐसी ट्रालियां पकड़ी गई जो सब्सिडी वाला यूरिया प्लाईवुड फैक्टरी में उतार रही थी।
किसानों की सब्सिडी वाला यूरिया 260 रुपये प्रति 50 किलो बैग मिलता है, जबकि प्लाईवुड फैक्टरी में इस्तेमाल होने वाले यूरिया की कीमत 4000 से 5000 रुपये प्रति बैग के आसपास है। इसी के चलते कई दलाल सक्रिय हैं, इसका फायदा उठाते हैं, मोटा मुनाफा कमाते हैं। इसका लाभ प्लाईवुड फैक्टरी मालिकों को भी मिलता है।
इसी दौरान कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, यमुनानगर द्वारा खाद बिक्री/भंडारण के कार्य में गड़बड़ी पाए जाने पर पिछले 5 महीने में आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 तथा फर्टिलाइजर (कंट्रोल) आर्डर, 1985 के तहत एफआईआर भी दर्ज करवाई गई है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, यमुनानगर के उप निदेशक डॉ. आदित्य प्रताप डबास ने बताया गया कि पिछले पांच माह में 48 खाद विक्रेताओं को नोटिस जारी किए गए तथा 19 खाद विक्रेताओं के खाद बिक्री लाइसेंस निलंबित किये गये हैं। इसके अतिरिक्त अनुदान पर बेचे जाने वाले कृषि योग्य यूरिया को औद्योगिक यूरिया के कट्टों में बदलने के आरोप में एक खाद विक्रेता के विरुद्ध एफआईआर पुलिस थाना, सदर यमुनानगर में दर्ज करवाकर उसका खाद बिक्री लाइसेंस रद्द किया गया है तथा 8 अन्य खाद विक्रेताओं के प्राधिकार पत्र रद्द कर दिये गये है। डॉ. डबास ने जिले में स्थित सभी खाद विक्रेताओं को आगाह किया है कि वह अपना खाद बिक्री का कार्य नियमानुसार करें अन्यथा भविष्य में उनके विरुद्ध भी कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। उन्होंने जिले के सभी किसानों को विश्वास दिलाया है कि उनकी मांग के अनुसार खाद की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी और किसानों को रबी सीजन में खाद की कमी नहीं आने दी जायेगी। उन्होंने किसानों से यह भी अनुरोध किया है यह आवश्यकतानुसार खाद की खरीद करें व अनावश्यक खाद का भंडारण न करें।
\Bकालाबाजारी करने वालोें के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश\B
उप निदेशक डॉ. आदित्य प्रताप डबास ने बताया कि विभाग के खाद निरीक्षकों को सख्त निर्देश दिये गये हैं कि खाद बिकी में गड़बड़ी एवं यूरिया खाद की काला बाजारी करने वालोें के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए। अतिरिक्त उपायुक्त, यमुनानगर द्वारा भी पुलिस विभाग को जिले की सीमाओं पर नाके लगाने बारे निर्देश दिए गए हैं ताकि जिला से अन्य राज्यों में खाद की तस्करी को रोका जा सके।