मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

प्रभु की लीला

04:00 AM Mar 08, 2025 IST

यह उस समय की बात है जब हनुमान जी अशोक वाटिका में माता सीता की खोज में पहुंचे थे और चुपचाप माता सीता और त्रिजटा की बातें सुन रहे थे। त्रिजटा ने कहा, ‘मैंने स्वप्न में देखा है कि लंका में एक बंदर आया है और वह लंका को जला देगा।’ त्रिजटा की यह बात सुनकर हनुमान जी को चिंता हुई कि प्रभु राम ने लंका जलाने के लिए ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया था, तो फिर त्रिजटा यह क्यों कह रही हैं?’ जब रावण के सैनिक हनुमान जी को मारने के लिए तलवार लेकर दौड़े, तब विभीषण ने आकर कहा, ‘दूत को मारना अनीति है।’ यह सुनकर हनुमान जी समझ गए कि प्रभु राम ने विभीषण को उनका रक्षक बना दिया है। यह आश्चर्यजनक था, लेकिन इससे भी बड़ी आश्चर्य की बात तब हुई जब रावण ने आदेश दिया कि हनुमान जी की पूंछ में कपड़ा लपेटकर, उसमें घी डालकर आग लगाई जाए। हनुमान जी ने सोचा, 'यदि त्रिजटा की बात सच नहीं होती, तो मुझे लंका जलाने के लिए घी, तेल, कपड़ा और आग कहां से मिलता?’ आखिरकार हनुमान जी ने प्रभु राम से कहा, ‘हे प्रभु राम, आपने स्वयं ही रावण से यह प्रबंध करवा दिया। जब आप रावण से भी अपना काम करा लेते हैं, तो यह मेरा मतिभ्रम था कि अगर मैं न होता, तो माता सीता को कौन बचाता?’

Advertisement

प्रस्तुति : राजेंद्र कुमार शर्मा

Advertisement
Advertisement