प्रदेश में 21वां पशुधन गणना अभियान शुरू
रादौर, 13 दिसंबर (निस)
पशु अस्पताल में शुक्रवार को प्रदेश के कृषि एवं किसान कल्याण, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्याम सिंह राणा ने दीप प्रज्वलित कर 21वें पशुधन गणना अभियान का शुभारम्भ किया। कैबिनेट मंत्री श्याम सिंह राणा ने इस अवसर पर कहा कि वर्ष 1919 में पहली बार पशुधन गणना हुई थी, जिसके बाद से हर पांच साल के अंतराल में पशुधन गणना की जाती है। यह गणना पशुपालन में नीति निर्माण और पशुपालन क्षेत्र में विभिन्न कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए रीढ़ की हड्डी के रूप में कार्य करती है। उन्होंने कहा कि पशु गणना में पूरे प्रदेश में घर-घर जाकर एक व्यापक सर्वेक्षण किया जाएगा। जिसमें पालतू जानवरों और पोल्ट्री के बारे में आंकड़े एकत्रित किए जाएंगे। इस गणना में पशुधन की विभिन्न प्रजातियां जैसे गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सुअर, ऊंट, घोड़े के अलावा पोल्ट्री पक्षियों की गिनती भी शामिल हैं। पशुपालन से जुड़े नागरिकों के पास उपलब्ध डेयरी उपकरणों की विस्तृत जानकारी भी उपलब्ध कराएगी।
प्रदेश में 2928 पशु चिकित्सा संस्थानों का बुनियादी ढांचा
मंत्री ने कहा कि सरकार ने प्रदेश में कुल 1079 पशु चिकित्सालयों, 1796 पशु औषधालयों, 7 पशु चिकित्सा पॉलिक्लीनिक, पालतू पशु चिकित्सा केंद्र- 41 पैरा-क्लिनिकल, सहायक संस्थान के अलावा हिसार में स्थित राजकीय पशुधन फार्म को मिलाकर कुल 2928 पशु चिकित्सा संस्थानों का बुनियादी ढांचा विकसित किया है। जिसकी सहायता से पशुओं के रोगों के उपचार एवं बचाव तथा पशुओं की नस्ल सुधार हेतु चलाई जा रही योजनाओं की वजह से पशुओं की उत्पादन क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। इसके अतिरिक्त, राज्य के विभिन्न जिलों में 70 मोबाइल पशु चिकित्सा इकाईयां चलाई जा रही हैं।
वार्षिक दूध उत्पादन 120 लाख टन
मंत्री ने कहा कि पशुपालन के क्षेत्र में सरकार के प्रयासों तथा राज्य के प्रगतिशील पशुपालकों के प्रयास से राज्य का वार्षिक दूध उत्पादन 120 लाख टन हो गया है। राज्य में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन दूध उपलब्धता 1098 ग्राम हो गई है जोकि राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धता 459 ग्राम की दोगुनी से भी काफी ज्यादा है। दूध उत्पादन में वृद्धि की अभी अपार संभावनाएं राज्य में मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में पशुपालन का महत्वपूर्ण योगदान है, राज्य के पशुपालकों की सहायता के लिए सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में लगभग 30 करोड़ रुपये की लागत से पशु चिकित्सा दवाएं राज्य के पशु चिकित्सा संस्थानों को उपलब्ध करवाई है।