प्रकृति रक्षक, जंगलों का दोस्त
डॉ. रेखा रानी
कर्जत, मुंबई के एक फ़ार्महाउस में रहते हुए, आसमान में धनेश के जोड़े को उड़ते हुए देखा। उनकी उड़ान इतनी अद्भुत थी कि मंत्रमुग्ध हो गई। थोड़ी देर में यह जोड़ा पास के पेड़ पर बैठ गया, और उनके दृश्य ने आंखों को स्थिर कर लिया। बाद में पता चला कि इस पक्षी को स्थानीय आदिवासी लोग ‘धनेश’ या ‘धन का पक्षी’ कहते हैं और इसे देखना शुभ मानते हैं। यह पक्षी अपनी खूबसूरती के अलावा, जंगलों के पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाता है।
धनेश, जिसे ग्रेट इंडियन हॉर्नबिल भी कहा जाता है, महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट के घने जंगलों में पाया जाता है। इसकी सबसे खास विशेषता इसकी बड़ी और घुमावदार चोंच है, जो सींग जैसी दिखती है। यह विशेषता इसे अन्य पक्षियों से अलग बनाती है। धनेश का वजन 2 से 4 किलोग्राम और लंबाई 94 से 130 सेंटीमीटर तक होती है। नर पक्षी की आंखें लाल होती हैं, जबकि मादा की आंखें हल्के नीले-सफेद रंग की होती हैं। इसकी चोंच केवल भोजन इकट्ठा करने में मददगार नहीं होती, बल्कि साथी को आकर्षित करने में भी सहायक होती है।
प्राकृतिक आवास
धनेश मुख्य रूप से पश्चिमी घाट के घने वनों में पाया जाता है, जिसमें पुणे और मुंबई के जंगल भी शामिल हैं। यह ऊंचे पेड़ों के खोखले में घोसला बनाता है, जहां मादा अप्रैल से जून तक अंडे देती है। अंडे देने के बाद, वह घोसले में बंद हो जाती है और बच्चों की देखभाल करती है, जबकि नर पक्षी एक छोटे से छेद से उसे भोजन पहुंचाता है। धनेश मुख्य रूप से फल, बीज, छोटे जीव-जंतु और कीड़े-मकोड़े खाते हैं और विशेष रूप से अंजीर के फल को पसंद करते हैं। जीवनभर एक ही साथी के साथ वफादारी निभाने वाला यह पक्षी भावनात्मक रूप से विकसित है।
जैव विविधता में सहायक
धनेश को जंगलों का किसान भी कहा जाता है क्योंकि यह बीजों के प्रसार में अहम भूमिका निभाता है, जिससे जंगलों में नए वृक्ष उगते रहते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र संतुलित बना रहता है। इसके द्वारा किए गए बीज प्रसार से जंगलों में जैविक विविधता बनी रहती है। इसलिए, ग्रेट इंडियन हॉर्नबिल, यानी धनेश, जंगलों के सच्चे मित्र के रूप में जाना जाता है।
हालांकि, धनेश को भारत में शुभ और धनदायक माना जाता है, लेकिन यह असुरक्षित पक्षियों की श्रेणी में आता है। इसका शिकार मुख्य रूप से इसकी सुंदर सींग जैसी चोंच के लिए किया जाता है। अंधविश्वासों के कारण इस पक्षी की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है।
धनेश के अस्तित्व को बचाने के लिए जागरूकता प्रसार और इसके प्राकृतिक आवासों की रक्षा करना आवश्यक है। यदि इसे बचाना चाहते हैं, तो हमें इसके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। यह पक्षी न केवल पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारी प्राकृतिक धरोहर भी है, जिसे हमें आने वाली पीढ़ियों तक संरक्षित रखना चाहिए।