पूरी रकम के लिये अधूरी इज्जत पर सब्र
रकम और इज्जत के बीच रकम जीत गयी, तो साहबो पाकिस्तान में चैंपियन्स ट्राफी होगी, पर पूरी ना होगी। पूरी रकम मिल रही हो, आधी इज्जत पर सब्र कर लेना चाहिए।
आलोक पुराणिक
हफ्तों से एक ही सवाल था कि पाकिस्तान में क्रिकेट की चैंपियन्स ट्राफी का आयोजन होगा या नहीं। इस सवाल का जवाब तलाश रहे थे कई टीवी चैनल। यह सवाल कुछ इस टाइप का था कि नागिन अपने प्रेमी राज को अपने साथ ले जायेगी या नहीं।
आखिर में तय हुआ कि चैंपियन्स ट्राफी पाकिस्तान में होगी, पर चैंपियन्स ट्राफी पाकिस्तान में नहीं होगी। क्या फाइनल है, या फाइनल है भी नहीं। कनफ्यूज था, कनफ्यूजन है। चैंपियन्स ट्राफी का मामला कुछ-कुछ शरद पवार टाइप होता जा रहा था। शरद पवार जब उधऱ होते हैं, तो इधर की बात करते हैं और इधर होते हुए उधर से सैटिंग करते हैं। यही कनफ्यूजन चैंपियन्स ट्राफी को लेकर था।
अब पाकिस्तान में हो रही है, पर पूरी चैंपियन्स ट्राफी पाकिस्तान में नहीं हो रही है। क्रिकेट में भी अब गठबंधन टाइप गतिविधियों का जोर है। पहले एक ही देश में पूरी सीरिज हो जाया करती थी, अब नहीं होती। अब गठबंधन सिरीज होती है, कुछ इधऱ कुछ उधर। चैंपियन्स ट्राफी के कुछ मैच पाक में होंगे, कुछ दुबई में होंगे।
पर पाकिस्तान का दुबई से क्या कनेक्शन है जी। पुराना कनेक्शन है। जो स्मगलर पहले दुबई में पाये जाते थे वो अब पाकिस्तान में पाये जाते हैं, दाऊद इब्राहीम की कसम। इंडिया के तस्करों का विकास क्रम कुछ इसी तरह का रहा है, जो तस्कर भारत मे विधायक या नेता न हो पाये, वो दुबई में जाकर कारोबारी हो जाते हैं। दुबई वाले रुपये पैसे के मामले में रंगभेद ना मानते, काले पैसे, सफेद पैसे सबका स्वागत करते हैं वो। पाकिस्तान के बड़े अफसर, नेता, जनरल भी दुबई जाते हैं लगातार। दुनिया भर के तस्करों, रईसों का ठिकाना दुबई में ही है।
क्रिकेट का ठिकाना भी दुबई है, अब चैंपियन्स ट्राफी के मैच दुबई में होंगे। पर दुबई की अपनी क्रिकेट टीम तो है नहीं, फिर क्रिकेट का क्या वास्ता दुबई से। अभी कुछ दिन पहले भारतीय आईपीएल टूर्नामेंट की नीलामी का आयोजन सऊदी अरब में हुआ। सऊदी अरब की टीम भी नहीं है क्रिकेट में। फिर क्रिकेट का क्या ताल्लुक है सऊदी अरब से। जी ताल्लुक है। जिसके पास पैसा होता है, उसका ताल्लुक दुनिया की हर चीज से होता है। जो खेलता है, वह खिलाड़ी होता है, जो खिलाता है वह खुद खेल होता है। कतर में विश्व फुटबाल की स्पर्धा हुई, कतर की दुनिया की फुटबाल में कोई खास हैसियत नहीं है। खिलाड़ी खेलते हैं, कतर खेल करवाता है। जिसके पास रकम है, उसका ताल्लुक क्रिकेट से है, भले ही क्रिकेट खेलना उसे ना आता हो। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड वाले पहले कह रहे थे कि इज्जत की बात है, चैंपियन ट्राफी के सारे मैच पाकिस्तान में ही होंगे। बाद में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड तैयार हो गया जी सारे मैच ना कराओ, कुछ मैच ही करा दो। इज्जत तो हवाई चीज है, रकम ठोस चीज है। रकम और इज्जत के बीच रकम जीत गयी, तो साहबो पाकिस्तान में चैंपियन्स ट्राफी होगी, पर पर पूरी ना होगी। पूरी रकम मिल रही हो, आधी इज्जत पर सब्र कर लेना चाहिए।