जींद, 30 दिसंबर (हप्र)जींद के समीपवर्ती गांव पांडू पिंडारा के महाभारतकालीन पिंडतारक तीर्थ पर सोमवार को सोमवती अमावस्या पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। कड़ाके की ठंड पर आस्था भारी पड़ी। श्रद्धालुओं ने तीर्थ के ठंडे पानी में डुबकी लगाई।पिंडतारक तीर्थ को लेकर किवदंती है कि महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने यहां अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया था। यहां हर सोमवती अमावस्या को मेला लगता है। माघ महीने की सोमवती अमावस्या पर इस तीर्थ में स्नान का विशेष महत्व है। देशभर से श्रद्धालु यहां आते हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं में अकाल मौत का शिकार पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए मौत की तिथि के दिन मरने वाले के निमित पूजा व दान करने के साथ-साथ भोजन भी करवाया जाता है। जिनकी मृत्यु की जानकारी नहीं हो, उनके लिए अमावस्या के दिन पिंडदान किया जाता है। ऐसे में पिंडारा में पितरों को मोक्ष की प्राप्ति के लिए जींद शहर के पूर्वी छोर पर स्थित पांडू पिंडारा तीर्थ का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि पांडवों को सोमवती अमावस्या के लिए 12 साल तक प्रतीक्षा करनी पड़ी थी। तब पांडवों ने श्राप दिया था कि कलयुग में सोमवती अमावस्या बार-बार आएगी।कड़े सुरक्षा इंतजामपिंडतारक तीर्थ में सोमवार को हजातोंकी संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किए। डीसी मोहम्मद इमरान रजा ने कहा कि 30 दिसंबर को सोमवती अमावस्या होने के कारण तीर्थ पर स्थानीय तीर्थ संचालन संस्था के सहयोग से मेले का आयोजन किया गया। मेले में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने शिरकत की और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान व पूर्जा-अर्चना की। प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सभी आवश्यक प्रबंध किए गए थे। तीर्थ पर सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम रहे।