For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

पानी के लिए गिड़गिड़ा कर थक गए मलार व गांगोली के लोग

04:36 AM Jan 07, 2025 IST
पानी के लिए गिड़गिड़ा कर थक गए मलार व गांगोली के लोग
Advertisement
रामकुमार तुसीर/निस
सफीदों, 6 जनवरी
उपमंडल सफीदों के गांव मलार में 6 वर्ष पहले 26.39 लाख की लागत की बने गहरे नलकूप की पेयजल परियोजना आज तक एक बूंद पानी नहीं दे पाई है। गांगोली गांव का गहरा नलकूप भी सफेद हाथी बना है। ऐसी जोखिमपूर्ण व्यवस्था है कि इसे बिजली का तार जोड़ कर कोई भी चला ले। थोड़ा बहुत पानी निकलता है। इसकी पड़ताल में खुलासा हुआ है कि इस इलाके में अनेक गावों में गहरे नलकूप जनस्वास्थ्य विभाग की मैकेनिकल विंग ने लगाए थे, जिनका करोड़ों का भुगतान ठेकेदार ले उड़े, लेकिन पानी आज तक नहीं आया। अभी तक इस विभाग की आपूर्ति विंग को नहीं सौंपे गए ये नलकूप अब आपूर्ति विंग का सिरदर्द बने हैं, क्योंकि ग्रामीण इनकी शिकायत करते हैं तो 'बड़ों' की डांट विभागीय अधिकारियों पर पड़ती है। मलार के सरपंच प्रमोद कुमार व अन्य ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव की इस परियोजना के लिए 26.39 लाख रुपये के बिल का भुगतान कई वर्ष पहले ठेकेदार को किया जा चुका है। उन्होंने सरकार से मांग की कि पानी तो विभाग ने दिया नहीं सफेद हाथी बनी इस परियोजना की राशि व उसका ब्याज तो ठेकेदार से वसूल कर सरकारी खाते में जमा कराया जाए। मलार की परियोजना के बारे में जन स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि ऐसे गहरे नलकूप उनके विभाग को चार्ज में नहीं सौंपे गए हैं।
Advertisement

मैकेनिकल विंग ने लगाया था मलार का नलकूप

जनस्वास्थ्य विभाग ने बताया कि मलार गांव का नलकूप उनकी मैकेनिकल विंग ने लगाया होगा, जो ऑपरेशन के लिए आपूर्ति विंग को नहीं सौंपा गया। मैकेनिकल विंग के उपमंडल अभियंता से बात की गई तो उन्होंने बताया कि नलकूप लगने के समय यह इलाका अंबाला डिवीजन में था। वर्ष 2020 में सोनीपत व फतेहाबाद डिवीजन बना दिए गए और अब सफीदों क्षेत्र सोनीपत डिवीजन में है, लेकिन अंबाला डिवीजन ने इसे लगाया है तो इसे चालू भी अंबाला डिवीजन ही करेगी। अंबाला डिवीजन के कार्यकारी अभियंता ने बताया कि सफीदों क्षेत्र अब सोनीपत मंडल के अधीन है, इसलिए सोनीपत के मंडल अभियंता इस बारे सही जानकारी दे सकते हैं। सोनीपत मंडल कार्यालय से बताया गया कि यह पता नहीं है कि यह नलकूप उनके विभाग के किस मंडल द्वारा कब लगाया गया। उस मंडल कार्यालय में इसकी फाइल उपलब्ध नहीं है। उनका कहना था कि मैकेनिकल विंग के हरियाणा में कई मंडल थे, जिनमें गहरे नलकूप लगाने का काम बांट दिया जाता था।

Advertisement

Advertisement
Advertisement