पाठकों के पत्र
भविष्य की रणनीति
भारत ने कई बार अपनी ताकत का लोहा मनवाया है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में की गई एयर स्ट्राइक आज भी लोगों को याद है। पहलगाम हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर आतंकियों का सफाया किया। प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान को चेतावनी दी थी ‘छेड़ेंगे तो छोड़ेंगे नहीं।’ यह ऑपरेशन अभी जारी है। यदि दुश्मन देश दोबारा कोशिश करेगा, तो भारत और भी कठोर जवाब देगा। अब हमें आतंक के खिलाफ भविष्य की रणनीति और मजबूत करनी होगी।
राहुल शर्मा, रसीना, कैथल
बढ़ती गर्मी
यूरोपीय वैज्ञानिकों के अनुसार साल 2024 अत्यधिक गर्म रहा, जो ग्लोबल वार्मिंग का संकेत है। सर्दी का घटता समय और बढ़ता तापमान आने वाले संकट के संकेत हैं। पर्यावरण से खिलवाड़ ने प्रकृति का संतुलन बिगाड़ दिया है। अब चिंता नहीं, बल्कि सामूहिक चिंतन और पर्यावरण संरक्षण के ठोस प्रयासों की आवश्यकता है, नहीं तो परिणाम विनाशकारी होंगे।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
फसलों पर संकट
भारत जलवायु परिवर्तन और ओजोन संकट की दोहरी मार झेल रहा है। आईआईटी खड़गपुर के अध्ययन के अनुसार, 2050 तक गेहूं की पैदावार में 20 फीसदी तक गिरावट हो सकती है। वायु प्रदूषण पर नियंत्रण, हरित ऊर्जा को बढ़ावा, और पर्यावरण संरक्षण अत्यंत आवश्यक हैं, ताकि खाद्य संकट से बचा जा सके और सतत विकास संभव हो।
विभूति बुपक्या, खाचरौद, म.प्र.
सफाई और भ्रष्टाचार
गंगा, यमुना, नर्मदा और अन्य नदियां प्रदूषण से ग्रसित हैं, और इनकी सफाई पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। फिर भी नदियां अपनी बदहाल स्थिति में हैं, क्योंकि सफाई के नाम पर भ्रष्टाचार हावी है। कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है, जो लोकतंत्र की सबसे बड़ी विडंबना है।
हेमा हरि उपाध्याय, खाचरोद, उज्जैन