पाठकों के पत्र
स्वास्थ्य नीति जरूरी
पांच अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून में डॉ. ए.के. अरुण का लेख ‘अब भी संपूर्ण स्वास्थ्य की उम्मीद में दुनिया’ विश्व स्वास्थ्य दिवस पर मां और नवजात शिशु की सुरक्षा पर ध्यान आकर्षित करता है। उन्होंने अफसोस जताया कि चुनावों में जन स्वास्थ्य का मुद्दा कभी नहीं उठाया जाता। वर्ष 2025 में विश्व स्वास्थ्य संगठन का थीम ‘मां और नवजात शिशु की सुरक्षा’ पर है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और बढ़ती बीमारियों के कारण और भी जरूरी हो गया है। राज्य सरकारों को जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। उम्मीद की जानी चाहिए कि मानव स्वास्थ्य मुद्दे पर सरकारें संकीर्ण राजनीति से ऊपर उठकर व्यापक जनहित में कार्य करेंगी।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
स्वास्थ्य ही सच्चा धन
सात अप्रैल, 1948 को विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना हुई थी, और तभी से यह दिन विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है। वर्ष 2025 की थीम बताती है कि स्वस्थ जीवन ही सबसे बड़ा धन है। स्वस्थ रहने के लिए समय पर सोना, सुबह जल्दी उठना, और प्रकृति से जुड़ना महत्वपूर्ण है। यदि बच्चों को बचपन से इन आदतों की आदत डाली जाए, तो वे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहकर सफलता प्राप्त कर सकते हैं। हमें जीवनशैली और खानपान में सुधार करना होगा।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
कुत्तों का भय
लखीमपुर खीरी में 7 वर्षीय बालक की आवारा कुत्तों के हमले से मौत हो जाने की घटना ने गहरे तक विचलित किया है। देशभर में ऐसी हजारों घटनाएं हो चुकी हैं, जहां आवारा कुत्ते और पशु सड़क, खेत, सोसायटी, गांव और शहरों में बुजुर्गों और बच्चों को शिकार बनाते हैं। खेतों में छुट्टा जानवर न केवल किसानों की फसल बर्बाद करते हैं, बल्कि उनकी जान भी ले सकते हैं। दिल्ली में पूर्व सांसद ने इस पर मुहिम चलाई थी, लेकिन समस्या का समाधान नहीं निकल सका।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली