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पाठकों के पत्र

04:00 AM Mar 08, 2025 IST
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शिक्षा का अर्थ
जिस देश की संस्कृति और शिक्षा प्रणाली सशक्त होती है, उसकी गरिमा का काेई ह्रास नहीं कर सकता। शिक्षा का अर्थ केवल एक निश्चित पाठ्यक्रम को विद्यार्थियों तक पहुंचाना नहीं होता, बल्कि नैतिकता का पाठ भी पढ़ाना होता है। भारतीय शिक्षा पद्धति का आधार नैतिक चरित्र ही रहा है। ज्ञान में किया गया निवेश सर्वश्रेष्ठ होता है। शिक्षा व्यक्ति में निहित प्रतिभा को निखारती है। शिक्षा जीवन की तैयारी नहीं, बल्कि स्वयं ही जीवन है। यह वह ज्ञान की ज्योति है, जो अज्ञानता दूर करती है। यह बात याद रखनी चाहिए कि शिक्षा व्यक्ति को धनवान बना सकती है, लेकिन हर धनवान व्यक्ति शिक्षा नहीं खरीद सकता।
अनूप कुमार गक्खड़, हरिद्वार

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किसानों की नाराजगी
छह मार्च के दैनिक ट्रिब्यून के संपादकीय 'पंजाब में उबाल' में भारतीय किसान यूनियन और पंजाब सरकार के बीच टकराव का उल्लेख है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान किसानों की मांगों के प्रति सहानुभूति रखते हुए भी भारतीय किसान यूनियन की बैठक छोड़कर चले गए। इसके बाद किसान यूनियन ने 'चंडीगढ़ चलो' आंदोलन का ऐलान किया, जिससे ट्रैफिक जाम की समस्या पैदा हुई। पंजाब सरकार को हड़ताली कर्मचारियों की समस्याओं को सहानुभूति से हल करना चाहिए, ताकि राज्य की आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल असर न पड़े।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

वन उपज आधारित रोजगार
सात मार्च के दैनिक ट्रिब्यून में भारत डोगरा के लेख ‘वन उपज से दीर्घकालीन रोजगार का लक्ष्य’ में आदिवासी समुदाय के लिए लघु वन उपज आधारित आजीविका के महत्व पर चर्चा की गई है। आदिवासी जीवन वनों से गहरे जुड़ा हुआ है। घूमर महिला प्रोड्यूसर कंपनी द्वारा सीताफल, जामुन स्लाइस, पलाश की पत्तियों के उत्पाद बनाने से आदिवासियों को रोजगार मिला है। इससे उनकी आय बढ़ी है और वे वनों की रक्षा करते हुए टिकाऊ तरीके से उपज प्राप्त कर रहे हैं।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़ 

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