पाठकों के पत्र
राजनीति का स्तर
दैनिक ट्रिब्यून के 21 दिसंबर के संपादकीय में भारतीय लोकतंत्र में बढ़ती असंसदीय गतिविधियों पर चिंता व्यक्त की गई है। संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच हिंसा, सांसदों के जख्मी होने, और पुलिस रिपोर्ट्स का जिक्र है। गृह मंत्री के डॉ. अंबेडकर पर बयान के बाद विपक्ष ने विरोध प्रदर्शन किया। राहुल गांधी पर धक्का-मुक्की का आरोप लगने और वीडियो न होने पर सवाल उठाए गए, यह दर्शाता है कि राजनीति का स्तर गिर चुका है।
शामलाल कौशल, रोहतक
अपूरणीय क्षति
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का निधन एक अपूरणीय राजनीतिक क्षति है। उन्होंने अपने पिता और पूर्व उप प्रधानमंत्री देवी लाल की बतौर किसान नेता की विरासत को आगे बढ़ाया। एक मिलनसार, अनुशासित और दृढ़ निश्चयी राजनेता के रूप में उनके विरोधी भी उनका सम्मान करते थे। घोटाले के आरोप में सजा के बाद रिहाई के दौरान अस्वस्थ चल रहे ओमप्रकाश चौटाला नश्वर संसार से कूच कर गए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
संविधान की गरिमा
विपक्ष का सत्ता में सरकार की किसी बात पर विरोध या असहमति जताना लाजिमी है। लेकिन हंगामे का स्तर ऐसा हो जाए कि संसद के दोनों सदनों की कार्रवाई ही स्थगित हो जाए, ठीक बात नहीं है। सांसदों को चाहिए कि वे अपनी बात शालीनता से कहें, संयम और धैर्य से काम लें और संसद और संविधान की गरिमा बनाए रखें।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली
संवेदनशीलता दिखाएं
चेन्नई के एक मंदिर में गलती से गिरा आईफोन मंदिर प्रबंधन द्वारा लौटाने से इनकार किया गया, यह हठधर्मिता प्रतीत होती है। आईफोन व्यक्तिगत संपत्ति है, जिसमें व्यक्ति की निजी जानकारियां होती हैं, इसलिए श्रद्धालु का फोन तुरंत लौटाया जाना चाहिए। दान में वस्तुएं स्वेच्छा से दी जाती हैं, न कि जबरन। धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं से परंपरा के नाम पर संपत्ति नहीं ली जानी चाहिए। मंदिर प्रबंधन को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए।
एमएम राजावत, शाजापुर