पाक पनडुब्बी गाजी के ‘संहारक’ वीर चक्र विजेता कमांडर इंद्र सिंह नहीं रहे
रोहतक, 10 अक्तूबर (निस)
भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तानी पनडुब्बी गाजी को नष्ट करने में अहम भूमिका अदा करने वाले कमांडर इंद्र सिंह का 100 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। 4 अक्तूबर को ही उन्होंने अपना 100वां जन्मदिन मनाया था। मंगलवार को शीला बाईपास स्थित श्मशान घाट में सैनिक सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। हरियाणा सरकार की ओर से पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर और जिला प्रशासन की ओर से एसडीएम राकेश सैनी ने श्रद्धासुमन अर्पित किए। उन्होंने साल 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तानी पनडुब्बी गाजी को नष्ट किया था। इसके लिए उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा भी उन्होंने भारतीय सेना में रहते हुए अनेक सराहनीय कार्य किए।
कमांडर इंद्र सिंह के दामाद और भारतीय नेवी से रिटायर्ड एडमिरल नसीब सिंह नैन ने बताया कि इंद्र सिंह ने 1945 में इंडियन नेवी जॉइन की थी। उस समय इंडियन नेवी का नाम ब्रिटिश नेवी था। उन्होंने सेलर के रूप में काम किया था। द्वितीय विश्वयुद्ध में उनका जहाज ब्रिटिश कॉन्वे को एस्कॉर्ट करता था। इसके बाद इराक में इनका ट्रांसफर हो गया था। उस दौरान वे सेकेंड कमांड थे। कमांडर इंद्र सिंह की ब्रांच शिप हेंडलिंग थी। नैन ने बताया कि इंद्र सिंह विशाखापट्टनम में ट्रेनिंग ब्रांच में बेस कमांडर थे।
इसके बाद आईएनएस राजपूत को डी-कमीशन करने का प्लान चल रहा था। लेकिन वे सी-ट्रेनिंग के लिए आईएनएस राजपूत को समुद्र में लेकर गए हुए थे। इसी दौरान भारत-पाक युद्ध शुरू हो गया। वहीं युद्ध में शामिल होने के लिए आदेश दिए गए। पाकिस्तान ने अमेरिकन पनडुब्बी गाजी को बंगाल की खाड़ी के लिए रवाना कर दिया था। इसकी सूचना इंडियन नेवी को भी लग चुकी थी। आदेश मिलने के बाद आईएनएस राजपूत के पास समुद्र में नीचे कुछ हलचल दिखाई दी। जिसके बाद उन्होंने अंडर वाटर बम (डेथ चार्ज) पानी में गिरा दिए।
उनके फटने के बाद पाकिस्तानी पनडुब्बी तबाह हो गई। जब सुबह पाकिस्तानी सैनिकों के शव तैरते दिखे तो पता चला कि गाजी नष्ट हो गई। सुसाइड मिशन कहकर कमांडर इंद्र सिंह को इस मिशन पर भेजा गया था, लेकिन उन्होंने अधिकारियों को आश्वासन दिया कि वे जरूर वापस लौटेंगे। इसके बाद इंद्र सिंह को वीर चक्र से भी नवाजा गया।