नयी दिल्ली, 23 मई (एजेंसी)भारत वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की अगली बैठक में पाकिस्तान को दोबारा निगरानी सूची में रखे जाने के लिए ठोस सबूतों के साथ अपना पक्ष रखेगा। धनशोधन पर लगाम लगाने और आतंकवादियों का वित्तपोषण रोकने में पाकिस्तान की नाकामी को देखते हुए भारत यह कदम उठाने जा रहा है। सरकारी सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।पाकिस्तान को 2018 में एफएटीएफ की सूची में रखा गया था। हालांकि बाद में उसने धनशोधन और आतंकवादियों के वित्तपोषण पर लगाम लगाने के लिए एक कार्ययोजना पेश की थी। इसके बाद 2022 में उसे एफएटीएफ की इस सूची से हटा दिया गया था। सूत्र ने कहा, इस बात के ठोस सबूत और आंकड़े हैं कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और अन्य बहुपक्षीय संस्थानों से जो कर्ज मिलता है, उसका उपयोग हथियार खरीदने और आतंकवाद को बढ़ाना देने में किया जाता है।सूत्र ने कहा, सार्वजनिक आंकड़ों को देखें तो पाकिस्तान अपने बजट का औसतन 18 प्रतिशत ‘रक्षा मामलों और सेवाओं' पर खर्च करता है। वर्ष 1980 से 2023 तक पाकिस्तान के हथियारों के आयात में औसतन 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। इससे पहले, भारत ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के समक्ष पाकिस्तान को वित्तीय सहायता दिये जाने का मुद्दा उठाया था। यही कारण है कि हाल में पाकिस्तान को वित्तीय सहायता की मंजूरी कुछ शर्तों के साथ दी गई है। सूत्र ने यह भी कहा कि विश्व बैंक एवं अन्य बहुपक्षीय संस्थानों में अगर पाकिस्तान को कर्ज देने का कोई प्रस्ताव आता है तो भारत उसका विरोध करेगा।