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पर्दे पर बेमेल जोड़ियों का रोमांस

11:35 AM May 27, 2023 IST
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हेमंत पाल

जब दर्शक सिनेमा के परदे पर बेमेल जोड़ियों के कथानक पर बनी फिल्म देखता है तो ये सोचता भी है कि क्या ऐसा हो सकता है! क्योंकि, कई बार फिल्मों की ऐसी कहानियों को दर्शक पचा नहीं पाते, कनेक्ट नहीं कर पाते। लेकिन, इन्हीं में से कुछ कहानियां पसंद भी की गयी। फिल्मों में दिखाया जाने वाला बेमेल जोड़ियों का रोमांस, वास्तव में समाज का एक रूढ़िवादी विचार है, जिसे तोड़ने की हिम्मत कम ही लोगों ने की। यही वजह है कि बेमेल प्रेम या प्रेम विवाह पर गिनती की फ़िल्में बनी। कुछ फिल्मों ने कम उम्र के पुरुष और अधिक उम्र की महिला के बीच प्रेम संबंधों को बेहद खूबसूरती से दिखाकर तालियां बटोरीं। ऐसी फिल्मों में अमिताभ बच्चन और रेखा से लेकर शाहरुख खान और डिंपल कपाड़िया जैसे कलाकारों ने भी काम किया है।

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दमदार कहानी हो तो…

बेमेल जोड़ी पर बनी फ़िल्में बनाना आसान नहीं। ये फ़िल्में तब ही दर्शकों को प्रभावित करती हैं, जब उनकी कहानी दमदार हो! ऐसी फिल्मों का इतिहास काफी पुराना है। श्वेत श्याम युग में 1937 के दौरान सबसे पहले वी शांताराम ने इस विषय पर हिंदी और मराठी में ‘दुनिया ना माने’ और ‘कुंकू’ नाम से फिल्म बनाई। इसमें बुजुर्ग केशव दाते एक कच्ची उम्र की बच्ची को ब्याह कर ले आता है। इस बेमेल जोड़ी को बच्ची स्वीकार नहीं करती है और खेलकूद में ही व्यस्त रहती है। आखिर में बुजुर्ग को गलती का अहसास होता है, तो वो यह लिखकर आत्महत्या कर लेता है कि वह बच्ची कहीं भी शादी करने के लिए स्वतंत्र है।

हादसे ने बदल डाले रिश्ते

1957 में एलवी प्रसाद ने राज कपूर, मीना कुमारी और राज मेहरा को लेकर फिल्म ‘शारदा’ बनाई थी। राज कपूर और मीना कुमारी का प्रेम हैं। उनके पिता विधुर हैं जिनकी एक अपाहिज बेटी भी है। राज कपूर की प्लेन क्रैश में मरने की खबर आती है। पिता घर से अपने बेटे की सारी तस्वीरें हटा लेते हैं। इस बीच मीना कुमारी उनकी अपाहिज बेटी की नर्सिंग के लिए आती है और पसीजकर राज मेहरा से शादी कर लेती है। उधर, हादसे से बचकर राज कपूर वापस लौटा, तो पता चला कि उनकी प्रियतमा अब उनकी मां बन गई। वो यह रिश्ता स्वीकार नहीं करते और शराब पीकर मरणासन्न हो जाते हैं। तब मीनाकुमारी उनकी सेवा कर जान बचाती है। क्लाइमेक्स में राजकपूर उन्हें मां कहकर पुकारते हैं।

विवाहेतर रिश्तों पर कहानियां

इसके बाद 1977 में आई रमेश तलवार की फिल्म ‘दूसरा आदमी’ में भी बेमेल जोड़ी का कथानक बुना गया। यह एक युवा जोड़े और बड़ी उम्र की महिला की विवाहेतर कहानी थी। लीड रोल में ऋषि कपूर और नीतू सिंह साथ अधेड़ महिला की भूमिका राखी ने निभाई थी। साल 2009 में आयी अयान मुखर्जी की ‘वेक अप सिड’ में रणबीर कपूर का किरदार उम्र में काफी बड़ी आयशा (कोंकणा सेन) से प्यार करने लगता है। फरहान अख्तर की फिल्म ‘दिल चाहता है’ में अक्षय खन्ना और डिंपल कपाड़िया के बीच भी ऐसा ही प्रेम संबंध दिखाया गया।

बड़ी उम्र की नायिका और छोटा नायक

शाहरुख खान की फिल्म ‘माया मेमसाब’ में भी बड़ी उम्र की महिला और छोटे उम्र के लड़के के बीच प्रेम दिखाया गया था। 2002 में आई ‘लीला’ भी ऐसी लड़की (डिंपल कपाड़िया) की कहानी थी, जिसकी शादी बहुत कम उम्र में हो जाती है। बाद में उसे अपने से काफी कम उम्र के लड़के से प्यार हो जाता है। इस लिस्ट में एक नाम ‘खिलाड़ियों का खिलाड़ी’ फिल्म का भी है। फिल्म में रेखा और अक्षय कुमार के किरदारों के बीच प्रेम संबंध दिखाए गए। अजय देवगन की ‘दे दे प्यार दे’ में 50 साल के आदमी (अजय) का दिल 24 की लड़की (रकुलप्रीत) पर आ जाता है जबकि उसकी पहले से एक पत्नी (तब्बू) होती है। अभिनेता अमिताभ बच्चन भी ऐसा किरदार निभाने में पीछे नहीं रहे। ‘चीनी कम’ में उनकी अनोखी रोमांटिक जोड़ी दिखाई गई। अमिताभ बच्चन की उम्र 64 साल होती है और तब्बू 34 की। 1991 की ‘लम्हे’ में अनिल कपूर और श्रीदेवी के ऐसे ही ‘करीब-करीब भावनात्मक तौर पर अस्वीकार्य’ रिश्ते के बीच प्रेम प्रसंग था। इस फिल्म को दर्शकों काे पचाना मुश्किल था, इसलिए फिल्म फ्लॉप हो गई।

‘निशब्द’ को लेकर उठा था विवाद

2007 में आई फिल्म ‘निशब्द’ में 20 साल की एक लड़की (जिया खान) और 62 साल के आदमी (अमिताभ बच्चन) के प्रेम संबंध को दिखाया गया था। इसमें अमिताभ की बेटी का किरदार निभाने वाली की दोस्त होती हैं, जिया खान और वो अपनी सहेली के घर में रहने लगती है। इस फिल्म की लोगों ने जमकर आलोचना की और फिल्म फ्लॉप हो गई थी। मधुर भंडारकर की फिल्म ‘दिल तो बच्चा है जी’ में अजय देवगन ने एक अधेड़ उम्र के बैंकर की भूमिका निभाई थी, जिसे अपनी इंटर्न से प्यार हो जाता है। बेमेल उम्र वाली ये मोहब्बत ख़त्म नहीं हुई, जारी है।

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