पत्र
समतामूलक विकास
केंद्रीय गृहमंत्री नक्सलियों को आत्मसमर्पण का आह्वान सराहनीय है। यह एक सकारात्मक कदम है। नक्सलवाद पनपने के कारणों में भ्रष्टाचार, गरीबी और सुविधाओं की कमी हो सकती है। मोदी सरकार को ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे को साकार करते हुए नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास पर जोर देना चाहिए। साथ ही, भ्रष्टाचार और गंदी राजनीति को समाप्त किये बिना नक्सलवाद का समाधान कठिन है। सरकार को इन मुद्दों पर गंभीरता से काम करना चाहिए।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
मलेरिया से जंग
सत्रह दिसंबर के दैनिक ट्रिब्यून के संपादकीय ‘काबू में मलेरिया’ में भारत में मलेरिया पर नियंत्रण की सफलता को लेकर संतोषजनक रिपोर्ट दी गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, भारत मलेरिया संवेदनशील सूची से बाहर आ चुका है। भारत में मलेरिया के अनुमानित मामलों की संख्या 2017 में 6.4 मिलियन से घटकर 2023 में 2 मिलियन हो गई यानी 69 प्रतिशत की कमी आई है। मलेरिया उन्मूलन में जन जागरूकता और सरकारी प्रयासों का महत्वपूर्ण योगदान है। इसके साथ, एक मलेरिया वैक्सीन भी विकसित हो चुकी है। सरकार को डेंगू के बढ़ते मामलों को भी नियंत्रित करने के प्रयासों पर ध्यान देना चाहिए।
शामलाल कौशल, रोहतक
तनाव और अवसाद
आज के महंगाई के दौर में युवाओं के लिए रोजगार एक बड़ी समस्या बन चुकी है, जिससे वे अवसाद का शिकार हो रहे हैं। वहीं, बुजुर्ग भी अपनी समस्याओं से घिरे हैं, क्योंकि वे बच्चों को तो पढ़ा-लिखा कर शहरी बना देते हैं, लेकिन माता-पिता के प्रति कर्तव्यों को सिखाना भूल जाते हैं। इसके कारण, युवा और बुजुर्ग दोनों ही मानसिक तनाव और अकेलेपन से जूझ रहे हैं। सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए, जिससे सभी का जीवन सुखमय हो सके।
मनमोहन राजावत, शाजापुर