पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड में वित्तीय संकट, स्टाफ की भारी कमी
मोहाली, 3 अप्रैल (निस)
पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड, जो आठवीं, दसवीं और बारहवीं कक्षा के 12 लाख से अधिक विद्यार्थियों की परीक्षाओं का संचालन करता है, इस समय गंभीर वित्तीय संकट और स्टाफ की भारी कमी का सामना कर रहा है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, बोर्ड को अभी तक विभिन्न विभागों से पुस्तकें छापने, समग्र शिक्षा अभियान, समाज कल्याण विभाग की ओर से किताबों और शिक्षा विभाग के किराए की राशि के 500 करोड़ से ज्यादा बकाया हैं।
बोर्ड में स्टाफ की भारी कमी एक प्रमुख समस्या बन चुकी है। जानकारी के अनुसार, वर्ष 2001 में पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड में 3000 से ज्यादा स्थायी कर्मचारी थे। लेकिन अब इनकी संख्या घटकर केवल 888 रह गई है। इनमें पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के 23 डिपो, 11 आदर्श स्कूलों का स्टाफ और सफाई कर्मचारी भी शामिल हैं। स्टाफ की इस कमी के कारण परीक्षाओं के दौरान परिणाम तैयार करने में भी कई कठिनाइयां सामने आ रही हैं।
पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड से संबद्ध स्कूलों की संख्या में भी लगातार गिरावट आ रही है। पहले जहां 3,200 स्कूल बोर्ड से एफिलिएटेड थे, अब यह संख्या पिछले 5 सालों में घटकर 2,400 रह गई है। यहां तक कि मोहाली जिले में, जहां बोर्ड का मुख्यालय स्थित है, अब मात्र 2-3 स्कूल ही बोर्ड से जुड़े हैं, जबकि बाकी स्कूल अन्य बोर्डों से संबद्ध हो चुके हैं। हर साल करीब 100 स्कूल पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड से अलग होकर सीबीएसई से जुड़ रहे हैं। इसका मुख्य कारण पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की सख्त शर्तों को माना जा रहा है। इस मामले पर पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड कर्मचारी यूनियन की अध्यक्ष रमनदीप कौर गिल, महासचिव सुखचैन सिंह सैनी और गौरव सांपला ने विशेष बातचीत मेंं कहा कि बोर्ड की मौजूदा स्थिति गंभीर है और सरकार को इस ओर जल्द ध्यान देना चाहिए, वरना राज्य की शिक्षा प्रणाली को भारी नुकसान हो सकता है।
उन्होंने आगे बताया कि रिजल्ट तैयार करने के दौरान भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि अधिकतर स्टाफ डेली वेजेस पर काम कर रहा है और उन्हें बेहद कम वेतन मिलता है। अगर रिजल्ट में कोई गलती होती है, तो इसकी जिम्मेदारी स्थायी कर्मचारियों पर डाल दी जाती है, जिससे वे मानसिक दबाव में रहते हैं।
इस वर्ष अधिक फंड मिलने की उम्मीद : चेयरमैन
इस मुद्दे पर पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डॉ. अमरपाल सिंह ने कहा किबोर्ड में विशेषज्ञों की नियुक्ति और शिक्षा के स्तर को मजबूत करने की योजना बनाई जा रही है। सभी विषयों में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने पर ध्यान रहेगा। पिछले वर्ष 39.5 करोड़ रुपये की बकाया राशि प्राप्त हुई थी और इस वर्ष हमें और अधिक फंड मिलने की उम्मीद है।