नायाब रत्न तवांग
अनीता
यात्रा से पहले तवांग कैसा होगा, रास्ता कैसा होगा, मन में कई विचार चल रहे थे, भूस्खलन की वजह से सड़क पर जगह-जगह मरम्मत का काम चल रहा था। हमें देखकर अचरज होता था कि लड़कियां और औरतें सड़क बनाने के काम में लगी थीं। वे पत्थर कूट रही थीं। उनके लाल-लाल गाल और पीठ पर छोटा बच्चा, यह चित्र आंखों में बस गया है। लोग यहां मेहनती हैं और साथ ही स्वभाव से बहुत शांत। मार्ग में हमें लाल, पीले, सफ़ेद व गुलाबी बहुत सुंदर फूल दिखे जो प्रकृति ने स्वयं ही उगाये थे। चीड़ के पेड़, जिन पर काले व हरे कोन लगे थे, बहुत सुंदर लग रहे थे। धूप में रंग बदलते हुए लाल, पीले व नीले पहाड़ भी देखे। जैसे प्रकृति अपनी पूरी सुंदरता बिखेर रही थी। थोड़ा पहले से ही जगह-जगह बर्फ के ढेर दिखने लगे थे। देखते ही देखते हिमपात होने लगा। छोटे-छोटे रूई के फाहों-सी गिरती बर्फ कपड़ों व बालों को छू रही थी। साफ़, शीतल जल जो पहाड़ों की बर्फ से पिघल कर नीचे आ रहा था। दो-तीन झरने तो जमे हुए भी मिले। नदी, पहाड़, सीढ़ीनुमा खेत, लाल-लाल गाल वाले बच्चे व औरतें- यह सारे दृश्य हमने कैमरे में क़ैद किए हैं।
मार्ग में पड़ने वाले एक स्थान जसवंतसिंह गढ़ में हम रुके। वहां सेना की तरफ़ से गर्मागर्म चाय का एक प्याला सबको दिया गया। वहां 1962 की भारत-चीन युद्ध की याद में एक स्मारक भी बना था। जो गढ़वाल राइफ़ल की 4 बटालियन के राइफ़लमैन जसवंत सिंह राणा की वीरतापूर्ण लड़ाई और शहीद होने की घटना को याद दिलाता है। सुबह साढ़े आठ बजे हम ‘पैंगांक टेंग त्सो’ झील देखने के लिए रवाना हुए। तवांग लगभग दस हज़ार फीट ऊंचाई पर है। हम तवांग गुम्फा देखने गये। यह चार सौ वर्ष पुराना तिब्बतियन मठ है। वहां भगवान बुद्ध की एक विशाल मूर्ति थी, दीवारों व छतों पर रंगीन आकर्षक आकृतियां बनी थीं।
पूरे तवांग में ही तिब्बती संस्कृति का स्पष्ट प्रभाव दिखाई पड़ता है। हम तवांग वॉर मेमोरियल देखने भी गये, यह भारत-चीन युद्ध की स्मृति में बनी चालीस फ़ीट ऊंची इमारत है, वह भी तिब्बती स्तूप की आकृति में बनी है। एक ऊंचे पहाड़ से दूध-सा फेनिल विशाल जल-प्रपात गिर रहा था, उसका शोर भी दूर से सुनाई दे रहा था। फुहारों की चादर-सी तन गई थी। रास्ते में आने वाली चट्टानों पर ज़ोर से गिरता, ध्वनि करता झरना अपने वैभव का भरपूर प्रदर्शन कर रहा था। शेष यात्रा में हमें पूरे रास्ते पद्मा नदी व यदा-कदा झरनों के दृश्य मिलते रहे। यहां की खूबसूरती आत्मा में बस गयी।
साभार : अनिता निहलानी डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम