नायब सरकार का हरियाणा को 2030 तक प्रदूषण मुक्त बनाने का लक्ष्य
चंडीगढ़, 23 जनवरी (ट्रिन्यू)
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में वित्तीय वर्ष 2024-25 से 2029-30 तक की अवधि के लिए सतत विकास हेतु हरियाणा स्वच्छ वायु परियोजना (हरियाणा क्लीन एयर प्रोजेक्ट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट) को मंजूरी दी गई। इस परियोजना का उद्देश्य भारत-गंगा के मैदान (इंडो गंगेटिक प्लेन) में वायु की गुणवत्ता में सुधार करना और प्रदूषण के उत्सर्जन को कम करना है, जो कई राज्यों की सीमाओं में फैला हुआ है।
सतत विकास हेतु हरियाणा स्वच्छ वायु परियोजना को विश्व बैंक द्वारा मदद दी जा रही है। यह खास पहल हरियाणा सरकार की है। परियोजना के लिए कुल प्रस्तावित बजट 3,647 करोड़ रुपये है। इस परियोजना को विश्व बैंक के परिणाम कार्यक्रम के माध्यम से वित्तपोषित किया जाएगा। परियोजना राज्य में वायु गुणवत्ता प्रबंधन प्रणालियों को मजबूत करने में सहायता करेगी। साथ ही, भारत सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों में के साथ भी तालमेल बनाएगी।
यह क्षेत्र-विशिष्ट वायु प्रदूषण निवारण उपायों को डिजाइन करने और लागू करने तथा सीमा-पार उत्सर्जन को कम करने के लिए भारत-गंगा के मैदान (आईजीपी) राज्यों के बीच समन्वय को सुविधाजनक बनाने पर ध्यान केंद्रित करेगा। परियोजना का उद्देश्य हरियाणा के शहरों में नागरिकों के लिए ‘जीवन की सुगमता’ को बढ़ाना भी है। परियोजना के संभावित लाभों में अत्याधुनिक प्रदूषण नियंत्रण तकनीकों के परीक्षण और विस्तार का समर्थन करना शामिल है। यह परियोजना शेष भारत के लिए एक मॉडल के रूप में भी काम कर सकती है। यह वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क के विस्तार, प्रदूषण के राज्यव्यापी स्रोतों को पकड़ने और राज्य-स्तरीय उत्सर्जन सूची के विकास के माध्यम से एयर-शेड प्रबंधन को भी सक्षम करेगा।
सीएम लेंगे बजट सत्र पर फैसला
बैठक में विधानसभा के बजट सत्र को लेकर भी चर्चा हुई, लेकिन कोई फैसला नहीं हुआ। सत्र के लिए कैबिनेट ने मुख्यमंत्री को अधिकृत किया है। अब मुख्यमंत्री अपने स्तर पर सत्र का निर्णय कर सकेंगे। फरवरी के दूसरे पखवाड़े में बजट सत्र बुलाया जा सकता है। लाडो लक्ष्मी योजना को लेकर सरकार ने तय किया है कि इसकी घोषणा बजट में ही की जाएगी। बजट में इस योजना के लिए फंड का भी बंदोबस्त होगा। विधानसभा चुनावों में भाजपा ने महिलाओं को इस योजना के तहत 2100 रुपये मासिक मदद देने का वादा किया था।
न्यायाधीशों की विभागीय परीक्षा के नियमों में बदलाव
कैबिनेट ने न्यायाधीशों की विभागीय परीक्षा से जुड़े नियमों में संशोधन किया है। प्रदेश में पंजाब सिविल सेवा (न्यायिक शाखा) नियम-1951 लागू हैं। इन नियमों में संशोधन की मंजूरी मंत्रिमंडल की बैठक में दी गई। इस नियम के भाग-डी के नियम-5 को प्रतिस्थापित किया है। भाग-डी के अनुसार विभागीय परीक्षा उच्च न्यायालय या मुख्य न्यायाधीश द्वारा नामित किसी एजेंसी या प्राधिकरण द्वारा आयोजित की जाएगी। इसमें भाग-ई ‘विभागीय परीक्षा’ को हटाने की स्वीकृति दी गई है। पहले के प्रावधानों के अनुसार, उक्त विभागीय परीक्षा केंद्रीय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित की जाती थी और सभी नवनियुक्त सिविल न्यायाधीशों को परिवीक्षा अवधि के भीतर पास करनी होती थी।
दोहरी पेंशन लेने वाले कर्मियों की एक साल की वसूली राशि माफ
हरियाणा सरकार ने दोहरा पेंशन लाभ लेने वाले कर्मचारियों को राहत देते हुए उनकी एक साल की वसूली राशि को माफ कर दिया है। बैठक के बाद मुख्यमंत्री नायब सैनी ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि प्रदेश में एमआईटीसी, काॅन्फैड, हरियाणा मिनरल लिमिटेड, हथकरघा निर्यात निगम के अलावा कुछ मर्ज किए गए विभागों के कर्मचारियों के एक विवाद को आज समाप्त कर दिया गया है। इन कर्मचारियों के पास पहले पेंशन की सुविधा नहीं थी। इसके चलते साठ साल की उम्र पूरी होने के बाद इन कर्मचारियों की बुढ़ापा पेंशन लागू हो गई। इस बीच सरकार ने इन कर्मचारियों की मांग को पूरा करते हुए छह हजार से 20 हजार रुपये तक मासिक मानदेय प्रदान कर दिया। प्रदेश में एक ही पेंशन की नियम है, लेकिन यहां करीब 361 कर्मचारी ऐसे थे जो दोनों तरफ से लाभ लेते रहे। ऐसे पूर्व कर्मचारियों को राहत प्रदान करते हुए उनकी एक साल की दोहरी पेंशन राशि की वसूली पर रोक लगा दी गई है। एक साल के अतिरिक्त समय की दोहरी पेंशन को उनके मासिक मानदेय से किश्त के रूप में वसूला जाएगा। यही नहीं इन कर्मचारियों से किसी तरह का ब्याज भी नहीं लिया जाएगा। इस फैसले के तहत एक करोड़ 47 लाख रुपये माफ किए गए हैं।