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नाबालिग बहनों से गैंगरेप और हत्या के चार दोषियों को फांसी की सजा

08:48 AM Nov 25, 2023 IST
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सोनीपत, 24 नवंबर (हप्र)
दो नाबालिग बहनों के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद कीटनाशक पिलाकर उनकी हत्या करने के मामले में शुक्रवार को अदालत ने चार आरोपियों को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुरुचि अतरेजा सिंह की (फास्ट ट्रैक) कोर्ट ने कहा कि यह कृत्य पूरी तरह नृशंस था। इसमें क्रूरता की सभी हदें पार कर दी गईं। यह दुर्लभ से दुर्लभतम श्रेणी का अपराध है। इनके लिए मृत्युदंड उपयुक्त सजा है। इससे समाज में कोई भी इस तरह का जघन्य अपराध करने से पहले सौ बार सोचेगा। अदालत ने चारों पर 30-30 हजार रुपये जुर्माना भी िकया।
यह वारदात 5 अगस्त, 2021 की रात हुई थी। मूल रूप से बिहार की रहने वाली इन बच्चियों की विधवा मां अपनी दोनों बेटियों और तीन बेटों के साथ कुंडली थाना क्षेत्र में एक गांव में किराए पर रह रहीं थी। उसी परिसर में अलग कमरे में रहने वाले बिहार के चार युवकों ने बच्चियों को शिकार बनाया। पुलिस को दिये बयान के अनुसार, वारदात की रात बच्चियां अपनी मां के साथ कमरे में सो रहीं थी, जबकि उनके भाई छत पर सो रहे थे। रात करीब 12 बजे अरुण पंडित, फूलचंद, दुखन पंडित और रामसुहाग उनके कमरे में घुस आये। उन्होंने बच्चों को जान से मारने की धमकी देकर डराया और बच्चियों को दबोच लिया। अरुण और फूलचंद ने बड़ी बेटी तथा दुखन पंडित व रामसुहाग ने छोटी बेटी से गैंगरेप किया। विरोध करने पर दोनों को कमरे में रखा कीटनाशक पिला दिया। आरोपियों ने महिला को धमकी दी थी कि किसी को इस बारे में बताया तो उसके बेटों को मार देंगे। डर के चलते वह बेटियों को लेकर छत पर चली गई। तड़के 4 बजे तक दोनों बहनें वहीं तड़पती रहीं। हालत ज्यादा बिगड़ने पर दोनों को दिल्ली के नरेला स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत
हो गई।

बेटों को बचाने के लिए मां ने कहा था- सांप ने काटा

बेटों को जान से मारने की धमकी के कारण मां ने पुलिस के सामने सर्पदंश से बेटियों की मौत होने की बात कही थी। लेकिन, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गैंगरेप और कीटनाशक से मौत का खुलासा हुआ। तत्कालीन थाना प्रभारी रवि की टीम में शामिल जांच अधिकारी उषा मलिक ने महिला से पूछताछ की तो सच्चाई सामने आयी और चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। मामले में पुलिस ने 24 गवाह पेश किए, जिनमें लड़कियों की मां भी शामिल थी। पुलिस द्वारा जुटाये साक्ष्य और मेडिकल रिपोर्ट दोषियों को सजा दिलाने में सबसे अधिक मददगार बने।

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