नरेंद्र निर्मल को बाल साहित्य सम्मान
संस्थान की निदेशक डॉ.अमिता दुबे के अनुसार बाल साहित्य संवर्धन योजना के तहत इस पुरस्कार में उन्हें 51 हजार की धनराशि, अंगवस्त्र और प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा। पिछले चार दशक से पत्रकारिता में सक्रिय निर्मल ने मनोरमा, अमर उजाला, दैनिक जागरण फीचर संपादन में नये आयाम स्थापित किए। संपादन कर्म को साधना भाव से करने वाले नरेंद्र निर्मल की पहली बाल कहानी आठ साल की उम्र में प्रकाशित हुई थी। बाल साहित्य के प्रति जुनून के चलते उन्होंने कालेज के दिनों में एक पाक्षिक समाचार पत्र ‘द चिल्ड्रेन टाइम्स’ निकाला। फिर एक दशक तक अमर उजाला में बाल साहित्य केंद्रित ‘बाल जगत’ का संपादन किया। कालांतर लंबे समय तक सोलह पेज की बाल साहित्य केंद्रित ‘बाल भूमि’ का संपादन किया। उनकी रचनाएं पाठ्यक्रम का भी हिस्सा रही हैं। उन्होंने सामान्य कहानियां भी लिखी हैं लेकिन उन कहानियों के केंद्रीय पात्र भी बच्चे ही रहे हैं। वे लगातार दूरदर्शन व आकाशवाणी पर भी नियमित कहानियां प्रस्तुत करते रहे हैं।