For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

नये वायरस की दस्तक

04:00 AM Jan 07, 2025 IST
नये वायरस की दस्तक
Advertisement

पिछले दिनों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर चीन में नया वायरस फैलने की आधी-अधूरी खबरें मिल रही थीं ,सोमवार तक उसी तरह के तीन मामले भारत में भी देखे गए। दो मामले बेंगलूरु में और एक मामला गुजरात में। छोटे बच्चों में फैलने वाले इस वायरस को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी बता रही है कि घबराने की जरूरत नहीं है। यह वायरस दुनिया के कई देशों में पहले से ही मौजूद रहा है। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि चीन में फैल रहा वायरस कितना घातक है। केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सलाह दी जा रही है कि सावधान रहने की जरूरत है, घबराने की नहीं। लोग उसी गाइडलाइन का पालन करें जो कोविड के वक्त ‘क्या करें और क्या न करें’ के रूप में जारी की गई थी। दरअसल, चीन में ह्यूमन मेटा न्यूमो वायरस यानी एचएमपीवी के मामलों में वृद्धि की खबरों ने पूरी दुनिया में चिंता बढ़ाई है। हालांकि, दुनिया के चिकित्सा विशेषज्ञ कह रहे हैं कि यह सांसों से जुड़ा सामान्य वायरस है, जो सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियां पैदा करता है। खासकर बच्चे व बुजुर्ग इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं। लेकिन चिंता तब पैदा हो सकती है जब पता चले कि चीन के उत्तरी इलाकों में फैलने वाला वायरस म्यूटेशन से गंभीर बन गया है। हालांकि, चीनी नीति-नियंताओं की दलील रही है कि उत्तरी गोलार्ध में ठंड के मौसम में सांस की नली का संक्रमण आम बात है। फिर भी बताते हैं कोरोना का स्रोत माने जा रहे चीन में इस वायरस को लेकर गंभीरता देखी जा रही है और उसके नियंत्रण के लिये चीन के नेशनल डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेन्शन संस्थान की देखरेख में विशेष निगरानी सिस्टम बनाया गया है। चीन सरकार ने दिसंबर के तीसरे सप्ताह में उत्तरी प्रांतों में चौदह साल से कम उम्र के बच्चों के इस वायरस से पीड़ितों की संख्या में वृद्धि के बाद यह कदम उठाया था। हालांकि, एचएमपीवी के स्रोत के बारे में अभी कोई ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है।
दरअसल, यह संक्रामक बीमारी दुनिया के विभिन्न देशों में किसी न किसी रूप में विद्यमान रही है। जिसमें खांसी व छींक से निकलने वाले थूक के कणों से यह वायरस फैलता है। ऐसे में संक्रमण से बचने के लिये हाथ मिलाने, दूसरों को छूने व गले मिलने से परहेज करने की सलाह दी जाती है। यदि हम सावधानी न बरतें तो वायरस हमें संक्रमित कर सकता है। कोरोना वायरस से बचाव की ही तरह खांसने -छींकने पर कपड़ा या रूमाल रखने की सलाह दी जाती है। निरंतर कपड़े को बदलने तथा नियमित रूप से साबुन से हाथ धोने की भी सलाह दी जाती है। जुकाम लगने पर मास्क पहनने तथा घर पर आराम करने की भी सलाह दी जाती है। साथ ही गुनगुना पानी पीने तथा पौष्टिक आहार की सलाह भी दी जाती है। निश्चित रूप से दमा व सांस की अन्य बीमारियों व दूसरे गंभीर रोगों से पीड़ितों के लिये यह वायरस कुछ परेशानी बढ़ा सकता है। लेकिन इसमें अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति कम ही आएगी। चिकित्सक के परामर्श से ही खांसी- बुखार की दवा लेने की सलाह दी जाती है। बहरहाल, चिकित्सा विशेषज्ञ इस वायरस से भयभीत न होने की सलाह लगातार दे रहे हैं। उनका कहना है कि इस वायरस की खोज इस सदी के पहले ही वर्ष में हुई थी। वायरस का प्रसार चिड़ियाओं के जरिये हुआ था, जो इंसान को संक्रमित कर सकता था। इसकी दशकों से मौजूदगी के चलते लोगों में इसको लेकर एक स्तर तक रोग प्रतिरोधक क्षमता मौजूद है। यह एक सामान्य फ्लू की तरह बताया जा रहा है। हालांकि, इस वायरस के उन्मूलन के लिये कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। इसके विपरीत कोरोना ने इंसान को पहली बार संक्रमित किया था, कालांतर जिसने महामारी का रूप ले लिया था। वैसे दुनिया में चिंता इस वजह से है कि यह वायरस उसी चीन में फिर सामने आया, जहां से कोरोना का वायरस पूरी दुनिया में फैला था। हालांकि, सर्दियों के मौसम में आमतौर पर खांसी-जुकाम के मामले सामने आते हैं, लेकिन फिर भी सावधान रहने की जरूरत है।

Advertisement

Advertisement
Advertisement