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नगरों को स्मार्ट" ही नहीं, समर्थ, समावेशी और सतत बनाएं जनप्रतिनिधि : डिप्टी स्पीकर

04:57 AM Jul 05, 2025 IST
गुरुग्राम, 4 जुलाई (हप्र)हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर डॉ. कृष्ण लाल मिढ़ा ने कहा कि शहरी स्थानीय निकायों के प्रतिनिधि अपने-अपने नगरों को ‘स्मार्ट’ ही नहीं, बल्कि समर्थ, समावेशी और सतत बनाएं-ताकि 'विकसित भारत' का सपना केवल एक लक्ष्य नहीं, बल्कि एक धरातलीय सच्चाई बन सके। डिप्टी स्पीकर शुक्रवार को राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन अवसर पर उपस्थित जनप्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे।

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उन्होंने कहा कि हरियाणा पहले से ही शहरी स्थानीय निकाय क्षेत्र में पारदर्शिता, ई-गवर्नेस और नागरिक भागीदारी के कई सफल उदाहरण प्रस्तुत कर चुका है। चाहे वह गुरुग्राम और फरीदाबाद जैसे नगर निगम हों या अन्य जिलों में नगर परिषद, सभी स्थानों पर हमने नागरिकों को केंद्र में रखकर योजनाएं बनाई हैं।

डिप्टी स्पीकर ने कहा कि शहरी निकायों की सशक्तता केवल कागज़ों पर नहीं, ज़मीन पर दिखनी चाहिए। एक आदर्श नगर निकाय तब बनेगा जब हर नागरिक को यह भरोसा हो कि उसकी आवाज़ सुनी जाती है, उसकी समस्या केवल एक फ़ाइल में नहीं, बल्कि समाधान की प्रक्रिया में बदलती है।

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उन्होंने कहा कि जब सभी राज्य अपने-अपने नगर निकायों को सशक्त, उत्तरदायी और नागरिकों के लिए जवाब देह बनाएंगे, तभी हम संवैधानिक लोकतंत्र को उसकी पूर्णता में अनुभव कर पाएंगे। उन्होंने दो दिवसीय सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए लोकसभा सचिवालय, हरियाणा विधानसभा सचिवालय और गुरुग्राम प्रशासन को आभार प्रकट किया।

जनभागीदारी को जन आंदोलन बनाना होगा : विजयवर्गीय

मध्य प्रदेश के शहरी विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि शहरी स्थानीय निकायों में जनभागीदारी अत्यंत आवश्यक है और इसे जन आंदोलन का रूप देना होगा। उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र की तीन परतें है। लोकसभा, विधानसभा और शहरी स्थानीय निकाय और इन तीनों में शहरी निकाय सबसे जमीनी और प्रभावशाली स्तर है।

उन्होंने कहा कि वे स्वयं सबसे पहले पार्षद रहे, फिर मेयर बने और बाद में विधानसभा व लोकसभा दोनों में प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने अनुभव साझा करते हुए कहा कि शहरी स्थानीय निकाय वह कड़ी है जहां जनता से सीधा संपर्क होता है और काम करना सबसे चुनौतीपूर्ण लेकिन अत्यधिक संतोषजनक होता है।

उन्होंने बताया कि जब इंदौर नगर निगम में फंड की कमी थी, तो उन्होंने आमजन से सीमेंट देने का आह्वान किया। इस पहल पर उन्हें 80 करोड़ रुपये की सीमेंट मिली और उसी की बदौलत लगभग 300 करोड़ रुपये की सड़कों का निर्माण कार्य करवाया गया। उन्होंने बताया कि इंदौर में एक ही दिन में 12 लाख 40 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया था, जिसे सफलतापूर्वक पूरा किया गया।

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