धोखे से चित चित्त
11:35 AM May 30, 2023 IST
एक युवक ने विद्वान संत से पूछा, ‘क्या धोखा देने वाले को धोखा देने में कुछ गलत है?’ संत ने गंभीर होकर कहा, ‘यदि कोई नुक़सान पहुंचाए, कोई धोखा दे, तो उसकी भरपाई सम्भव है, नुक़सान की पूर्ति सम्भव है। धोखा खा लेने से स्वयं के चित्त की गुणवत्ता प्रभावित नहीं होती, चित्त की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। पर यदि स्वयं किसी को धोखा दिया, तो उसकी भरपाई सम्भव नहीं है। दूसरे को धोखा देने का भाव ही स्वयं के लिए बहुत ख़तरनाक है। चाहे धोखा न भी दिया गया हो, पर यदि चित्त में दूसरे को धोखा देने का भाव पैदा हो गया तो इससे चित्त दूषित हो गया। ये दूषित चित्त ज़हर है, ये पूरी चेतना को ही प्रदूषित कर देगा, जीवन में ज़हर घोल देगा। जीवन के आनन्द को समाप्त कर देगा, जीवन को विषादग्रस्त कर देगा।’ प्रस्तुति : सुभाष बुड़ावनवाला
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