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दृष्टि बाधित हो जाने पर भी हौसला नहीं छोड़ा, किताबें सुन कर परीक्षा की पास

05:00 AM Feb 27, 2025 IST
दृष्टि बाधित हो जाने पर भी हौसला नहीं छोड़ा  किताबें सुन कर परीक्षा की पास
यमुनानगर के साढौरा निवासी अंकुरजीत सिंह शहीद भगत सिंह नगर के डीसी पद का चार्ज संभालते हुए। -हप्र
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सुरेंद्र मेहता/हप्र

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यमुनानगर, 26 फरवरी

पंजाब सरकार के एक बड़े प्रशासनिक फेरबदल के बाद अंकुरजीत सिंह ने शहीद भगत सिंह नगर के डीसी का चार्ज संभाला है। अंकुरजीत सिंह पूर्व में अतिरिक्त उपायुक्त पठानकोट में कार्यरत रहे और इसके साथ ही कई अन्य पदों पर काम किया। 2018 बैच के आईएएस अधिकारी अंकुरजीत सिंह यमुनानगर के साढौरा के रसूलपुर के रहने वाले हैं। उन्होंने स्कूली शिक्षा यहीं से की। उनकी माता जसविंदर कौर हरियाणा सरकार में बतौर महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी के पद पर तैनात हैं। अंकुरजीत सिंह भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा पास करने से पहले आईआईटी की परीक्षा भी पास कर चुके हैं। उन्होंने कठिन चुनौतियों का सामना करते हुए सफलता हासिल की। दृष्टि बाधित हो जाने पर भी हौसला नहीं छोड़ा और तमाम चुनौतियां को पार करते हुए परीक्षा में सफलता हासिल की और अब पंजाब के शहीद भगत सिंह नवां शहर में पहली बार बतौर डीसी पद संभाला। डीसी बनते ही यमुनानगर के साढौरा में उनके घर बधाइयां देने वालों का तांता लग गया।

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मां किताबें पढ़कर अंकुरजीत को सुनाती थीं

अंकुरजीत सिंह बचपन से ही दृष्टि बाधित हैं और उन्होंने किताबें पढ़कर नहीं बल्कि सुनकर इतिहास रच दिया। हालांकि वह बचपन में देख पाते थे, लेकिन धीरे-धीरे उनकी आंखों की रोशनी चली गई। अंकुरजीत सिंह का आईआईटी रुड़की में भी एडमिशन हो गया और बीटेक पूरी की। बेटे के आईएएस बनने के जुनून को पंख दिए मां ने। उनकी मां किताबे पढ़कर सुनाती थीं और एक दिन ऐसा आया की बेटे ने आईएएस बन कर दिखाया। गांव रसूलपुर के सरकारी स्कूल से उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। 11वीं और 12वीं की पढ़ाई अंकुरजीत ने डिस्ट्रिक्ट हेडक्वार्टर्स के स्कूल से की। रोजाना स्कूल जाने के लिए अंकुरजीत करीब 40 किमी. का सफर तय करते थे। एक इंटरव्यू में अंकुरजीत ने बताया था कि उन्हें आईएएस, आईपीएस जैसी बड़ी परीक्षाओं के बारे में जानकारी नहीं थी। अंकुरजीत ने कहा कि मेरी 12वीं की परीक्षा में कुछ लोग हमारे स्कूल आए और उन्होंने देश की इन परीक्षाओं के बारे में बताया। मेरी एक अध्यापिका ने मुझे आईआईटी में दाखिले के लिए मोटिवेट किया, जिसके बाद मैंने उन्हें मना कर दिया। हालांकि, उनकी कोशिश के बाद मैं मान गया कि मैं जेईई की तैयारी करूंगा। मैंने परीक्षा दी और मेरा आईआईटी में सिलेक्शन हो गया। परीक्षा पास करने के बाद मुझे लगा कि मैं कुछ भी कर सकता हूं।

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