दूसरों की गलतियों का चिंतन करता है आत्मा को कमजोर : बीके शिवानी
नारनौल, 23 दिसंबर (निस)
शरीर की स्वच्छता के साथ-साथ मन की स्वच्छता का ध्यान रखना जरूरी है। उक्त विचार जनपद गुरुग्राम के ग्राम भोड़ा कलां स्थित ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में न्यायविदों के तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में सुप्रसिद्ध प्रेरक वक्ता बीके शिवानी ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हमारे कर्म ऐसे हों, जिनसे आत्मा की शक्ति बढ़े। दूसरों की गलतियों का चिंतन आत्मा की शक्ति को घटाता है। हमारा हर कर्म सेवाभाव से होना चाहिए। बाहर के प्रदूषण से भी अधिक नुकसान मानसिक प्रदूषण से होता है। संकल्प से सृष्टि बनती है। संकल्प बीज है। बाहरी प्रदूषण का मूल कारण भी हमारी गलत जीवन पद्धति है।वर्तमान समय में परिस्थितियां ज्यादा विकट नहीं हैं बल्कि हमारी आंतरिक शक्ति कम हो गई है। मन की शक्तिशाली स्थिति परिस्थितियों का बेहतर ढंग से सामना कर सकती है। जो कुछ भी हम देखते और सुनते हैं, उससे हमारी सोच बनती है। जैसा अन्न होता है, वैसा ही मन बनता है। इसलिए मन की शुद्धि के लिए भोजन की शुद्धि जरूरी है। धन कमाना जरूरी है लेकिन उससे जरूरी है दुआएं कमाना। केंद्रीय आयकर विभाग के अतिरिक्त आयुक्त धीरज जैन ने कहा कि अध्यात्म ही हमारा परिचय है। भारत भूमि ही अध्यात्म की जननी है। भारत ने ही पूरे विश्व को श्रेष्ठ संस्कार दिए हैं। ब्रह्माकुमारीज संस्था पुनः उसी संस्कृति और संस्कारों को जगाने का सराहनीय कार्य कर रही है। संस्था के दिल्ली, करोल बाग सेवा केंद्र की निदेशक एवं ज्यूरिस्ट विंग की अध्यक्ष राजयोगिनी पुष्पा दीदी ने कहा कि राजयोग से जीवन में आध्यात्मिक मूल्य जागृत होते हैं। राजयोग से ही जीवन संतुलित होता है। उन्होंने कहा कि मूल्यों के आधार से ही जीवन का महत्व है। एडवोकेट बीके मनीष ने सभी का धन्यवाद किया। कार्यक्रम में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी.डी. राठी एवं माउंट आबू से पधारीं बीके लता ने भी विचार रखे। तीन दिवसीय सेमिनार में अध्यात्म के अनेक विशेषज्ञों ने अलग-अलग विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए। साथ ही संगोष्ठियों के माध्यम से भी न्यायविदों की भूमिका पर भी विशेष चर्चा हुई। मंच संचालन बीके सविता ने किया।