दुःख का कारण
04:00 AM Jul 10, 2025 IST
एक संत से शिष्यों ने पूछा कि मनुष्य के दु:ख का कारण क्या है? संत ने एक प्रसंग के जरिये समझाने के प्रयास से कहा—एक व्यापारी ट्रक में चावल के बोरे लिए जा रहा था। एक बोरा खिसक कर गिर गया। कुछ चीटियां आयीं 10-20 दाने ले गयीं, कुछ चूहे आये 100-50 ग्राम खाये और चले गये, कुछ पक्षी आये थोड़ा खाकर उड़ गये, कुछ गायें आयीं 2-3 किलो खाकर चली गयीं, एक मनुष्य आया और वह पूरा बोरा ही उठा ले गया। अन्य प्राणी पेट के लिए जीते हैं, लेकिन मनुष्य तृष्णा में जीता है। इसीलिए इसके पास सब कुछ होते हुए भी यह सर्वाधिक दुखी है। आवश्यकता के बाद इच्छा को रोकना जरूरी है अन्यथा यह अनियंत्रित बढ़ती ही जायेगी और दुख का कारण बनेगी।
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प्रस्तुति : निशा सहगल
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