ट्रंप के टैरिफ को टरकाने से वारे-न्यारे
सहीराम
कयामत का इंतजार तो खैर कौन करता है जी, शायरों के अलावा! पर ट्रंप के टैरिफ का इंतजार तो सभी को था। और देखा जाए तो जनाब ट्रंप का टैरिफ भी कयामत से कहां कम था। खुद ट्रंप ने उसे कयामत की तरह ही पेश किया था और दुनिया वालों ने भी उसे कयामत की तरह ही स्वीकार किया था। वैसे तो अप्रैल का महीना खुद अपने यहां भी कयामत की तरह ही आता है, जब सारे बवाल शुरू होते हैं—आधार बदलने के नियमों से लेकर बैंकों की व्यवस्थाओं तक सब। लेकिन इस बार का अप्रैल तो पूरी दुनिया के लिए जैसे कयामत बनकर आया। ट्रंप पिछले दो महीने से सुबह-शाम दुनिया वालों को डरा रहे थे—मैं टैरिफ लागू कर दूंगा। दुनिया वाले अपने सरकारों से इल्तिजा रहते रहे कि भाई इस टैरिफ का कुछ करो, पता नहीं यह क्या बवाल होने जा रहा था। बस एक हम ही थे, जो इससे डरे हुए नहीं थे। हम बिल्कुल उसी अंदाज में थे कि है बात कुछ कि हस्ती मिटती नहीं हमारी। हमने यह नहीं कहा कि ट्रंप हमारा दोस्त है। हमने उसकी जीत के लिए यज्ञ-हवन किए हैं। हमने कोई अहसान नहीं जताया। बल्कि हम ताे इस अंदाज में डटे रहे कि टैरिफ हमारा क्या बिगाड़ लेगा। नहीं-नहीं हम बिल्कुल भी उस धज में नहीं थे कि नंग बड़ा भगवान से। बल्कि हम तो उस अंदाज में थे कि यह दुनियावी मोह-माया है। हमें इसके चक्कर में पड़ना ही नहीं है।
वैसे भी हम तो आपदा में अवसर ढ़ंूढ़ने वाले लोग हैं। लोग तो चाहे न ढ़ूंढ़ते हों पर सरकार जरूर आपदा में अवसर ढ़ूंढ़ लेती है। हमारी सरकार का यही मंत्र शायद ट्रंप को भी रास आ गया है। टैरिफ लगाने का टाइम आया तो उसने टैरिफ लगाया भी। पलटकर दूसरों ने अमेरिका पर भी टैरिफ लगाया। लेकिन दूसरों के टैरिफ लगाने से वह ज्यादा चिंतित नहीं हुआ। दूसरों से तो वह कभी भी निपट लेगा। चीन से निपटना जरूरी था, सो जब चीन ने पलट टैरिफ लगाया तो उसने सवा सौ पर्सेंट टैरिफ लगा दिया। ठीक वैसे ही जैसे स्कूल का कोई बच्चा जब मास्टरजी की दी हुई सजा का विरोध कर दे तो फिर उसकी सजा कई गुना बढ़ा दी जाती है।
खैर, चीन का जवाब कुछ ईंट का जवाब पत्थर टाइप का रहा। बस आपदा में अवसर के मंत्र का असर यहीं से शुरू हुआ। ट्रंप साहब ने चीन को छोड़कर सब का टैरिफ पॉज कर दिया। इसके बाद तो जी वहां के शेयर बाजार में जैसे दिवाली-सी मन गयी। कई सालों का हिसाब बराबर हो गया। बताते हैं कि खुद ट्रंप साहब ने ही अपने सेठ दोस्तों को टिप दी थी कि फायदे में रहोगे। जबकि इधर हमारा शेयर मार्केट टैरिफ के डर से पस्त पड़ा है। देख लो टैरिफ को टरकाने भर से सेठों के कैसे वारे-न्यारे हो गए। नहीं क्या?