जूनियर को मिले गये सारे बेनफिट, सीनियर दर-दर भटकने को मजबूर
यहां तक कि सीएम विंडो पर भी कथित तौर पर इस मामले पर मिट्टी डालने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसा ही वाकया भिवानी के विद्यानगर के विकलांग मुख्य अध्यापक शक्ति सिंह सिवाच का है। उनके जूनियर को विकलांग कोटे से पहले पदोन्नित दी गई, जबकि वे पदोन्नति के लाभों के लिए अभी भी विभाग के चक्कर ही लगा रहे हैं हालांकि विकलांग मुख्यध्यापक शक्ति सिंह सिवाच सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं।
इस बारे में उन्होंने सीएम विंडों पर चार बार शिकायत दी, लेकिन कोई समाधान नहीं हो पाया, बल्कि अधिकारी बार-बार फोन करके पूछ रहे हैं कि क्या वे सीएम विंडो की कार्रवाई से संतुष्ट हैं? उनका जवाब इनकार में था क्योंकि समस्या का समाधान नहीं हुआ। इसलिये अब पांचवीं बार सीएम विंडो पर शिकायत दर्ज करवाई है। अब देखना ये है कि समस्या का समाधान होता हैं या फिर से टरका दिया जायेगा। विद्यानगर निवासी शक्ति सिंह सिवाच विकलांग है और उनको 28 अगस्त 2009 को सामान्य कोटे में मुख्य अध्यापक के तौर पर पदोन्नित मिली। उन्होंने रिकार्ड चेक करवाया तो उनके बाद में नियमित होने वाले विकलांग शिक्षकों 1996 में ही पदोनन्त हो चुके थे। इसे लेकर उन्होंने शिक्षा विभाग के चक्कर लगाने शुरू किए। कई बार मांगने के बाद उनको यह जानकारी मिली कि उनसे पहले किन-किन विकलांगों को पदोन्नति मिली।
जानकारी में यह सामने आया कि रोहतक निवासी एक विकलांग टीचर 18 सितम्बर 1994 को रेगुलर हुए। उनको विकलांग कोटे में पदोन्नति दे दी गई,जबकि शक्ति सिंह सिवाच 16 सितम्बर 1982 में ही रेगुलर हो गये थे लेकिन उनको वर्ष 2009 में सामान्य कोटे से पदोन्नति मिली। कायदे से उनको भी रोहतक निवासी जूनियर टीचर से पहले मिलनी चाहिए थी,लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। जिसके चलते शक्ति सिंह रिटारमेंट लाभों के लिए चक्कर लगा रहे है। शक्ति सिंह सिवाच को सामान्य कोटे में वर्ष 2009 में प्रमोशन मिला, जबकि उन्हें 1996 में मिलना चाहिए था। उन्होंने शिक्षा विभाग व सरकार से वर्ष 1996 से लेकर वर्ष नौ तक पदोन्नति के बाद मिलने वाला वेतन का बकाया एरियर और सेवानिवृति के बाद मिलने वाले सभी बढ़े हुए लाभ देने की मांग की है अन्यथा उनके पास अदालत का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।
ं